बच्चों के साथ मनाते हैं जन्मदिन
आजादनगर निवासी सेवानिवृत्त कॉलेज प्रिसिंपल बीके कुमावत अपना जन्म दिवस आदिवासी क्षेत्र से आई छात्राओं के बीच मनाते और उन्हें भोजन करवाते हैं। पिछले पांच वर्ष से वह ऐसा कर रहे हैं। १९ नवंबर को वह अपना ८१ वां जन्मदिन भी इंदौर रोड स्थित सेवाभारती के छात्रावास में ही मनाएंगे। कुमावत बताते हैं, कुछ वर्ष पूर्व वह छात्रावास गए थे तब बच्चियों ने उन्हें गीता पाठ सुनाया था। इससे वह काफी प्रभावित हुए। बच्चों के साथ जन्मदिवस मनाने के साथ ही वह वर्ष में कई बार छात्रावास जाकर उन्हें कॉपी-किताब या अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराते हैं। कुमावत कहते हैं, बच्चों के चहरे पर जब बच्चों के चहरे पर खुशी छाती तो उन्हें ऐसा लगता है, जैसे राष्ट्रपति पुरस्कार मिल गया। उस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
11 हजार बच्चों को दिया हाईजीनिक उपहार
महावीर इंटरनेशनल केंद्र के बैनर तले अशोक भंडारी व उनके साथियों का खुशी बांटने का अंदाज जुदा है। वह गरीब नवजात बच्चों को हाइजीनिक उपहार देते हैं। संस्था के माध्यम से वह प्रत्येक रविवार शासकीय अस्पताल में गरीब बच्चों को नि:शुल्क बेबी किट प्रदान करते हैं। इसमें ४ नेपी, दो झबले, एक टोपा व एक कॉटन थैली शामिल होती है। अस्पताल प्रबंधन से ही वह जरूरतमंद परिवारों की जानकारी लेते हैं और फिर उन्हें किट उपलब्ध कराते हैं। इस कार्य में समाज के कई लोग भी सहयोग करते हैं। बच्चों के प्रति पे्रम इस कदर है कि कृष्णा तोतला और उनकी पुत्रवधू बेबी किट स्वयं तैयार करती है। संस्था के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष भंडारी के अनुसार संस्था द्वारा ५ वर्ष के २५७ रविवार में अब तक करीब ११ हजार नवजात को बेबी किट उपलब्ध करा चुके हैं। वर्तमान में संस्था के स्थानीय अध्यक्ष श्रेणिक लुणावत व सचिव सतीष जैन हैं।
बगैर शुल्क लिए करते हैं इलाज
डॉ. पीबी मजूमदार जरूरतमंद बच्चों के चेहरे पर स्थायी खुशी देने का प्रयास करते हैं। यह खुशी वह स्वस्थ जीवन से देते हैं। करीब ४५ वर्ष से चिकित्सा सेवा कर रहे डॉ. मजूमदार जरूरतमंद बच्चों का नि:शुल्क उपचार करते हैं। वह कहते हैं, समाज का, समाज को अर्पण करने में एक अलग ही संतोष मिलता है। इस पर बच्चों को स्वस्थ जीवन देने में कुछ भूमिका निभा सकें तो यह बड़ी उपलब्धी होती है। ७५ वर्षीय डॉ. मजूमदार बताते हैं, अब तो वह चौथी जनरेशन का उपचार कर रहे हैं। कई लोग ऐेस भी आते हैं जो कहते हैं कि उनके दादा का इलाज मैंने किया था। यह सुनकर सुकून मिलता है। उनका प्रयास रहता है कि इलाज से पहले वह हैल्थ एजुकेशन दें ताकि बीमारी कम हो।