scriptऑनलाइन डाटा एंट्री में नौनिहालों की उलझ गई साइकिल | Students coming to school after walking 3 kilometers on non-cycling | Patrika News

ऑनलाइन डाटा एंट्री में नौनिहालों की उलझ गई साइकिल

locationउज्जैनPublished: Jul 30, 2019 01:32:54 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

साइकिल न मिलने पर 3 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आते हैं विद्यार्थी

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आगर-मालवा. सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से ग्रामीणों की जानकारी अपडेट करते हुए परिवार समग्र आईडी के माध्यम से शासन की योजनाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाया जाता है पर कहीं-कहीं यही ऑनलाइन सॉफ्टवेयर पात्र हितग्राहियों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाते हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति ग्राम पंचायत पालड़ा के अधीन आने वाले 4 गांवों में निर्मित हो रही है। डाटा अपडेट न होने के कारण माध्यमिक स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को सरकार की नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। पिछले 4 वर्षो से निरंतर पात्र बच्चे साइकिल से वंचित रह रहे हैं, जिसकी ओर जवाबदारों का कोई ध्यान नही है।
2 किमी से अधिक दूरी से स्कूल आने वाले ग्रामीण बच्चों के लिए नि:शुल्क साइकिल देने की योजना शासन द्वारा चालू कर रखी है और इस योजना के तहत बकायदा पात्र बच्चों के लिए साइकिल भी आती है, लेकिन ग्राम पालड़ा में स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय के पात्र विद्यार्थियों को पिछले 4 वर्षो से नि:शुल्क साइकिल योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। साइकिल न होने के कारण बच्चे अपने-अपने गांव से पैदल ही स्कूल आ रहे हैं। ग्राम पंचायत पालड़ा के अंतर्गत आने वाले ग्राम सुल्तानपुरा, बुढ़ाडुंगर, बागरीखेड़़ा तथा मझरे-टोले लाला का डेरा, रामसिंह का डेरा से पंचायत मुख्यालय पर स्थित शासकीय मावि में बच्चे पढऩे के लिए आते हैं। मावि एवं प्रावि एक ही परिसर में संचालित होता है। यहां पिछले 4 वर्षो में 76 बच्चे ऐसे चयनित किए गए जो 2 किमी से अधिक की दूरी से स्कूल पहुंचते हैं। चयनित बच्चों की सूची शासन स्तर पर भेजी गई और वहां से बच्चों के लिए बकायदा नि:शुल्क साइकिल भी जारी हो गई, लेकिन जब साइकिल देने का समय आया तो बच्चों के नाम ऑनलाइन दर्ज नही हो पाए। यह स्थिति वर्ष 2016-17 से निर्मित होती आ रही है, जिसका समाधान आज तक नही किया गया।
76 पात्र में से महज 8 को मिली साइकिल – वर्ष 2016-17 में स्कूल द्वारा 10 बच्चे पात्र बताए गए जिसमें से एक को साइकिल मिल पाई। इसी तरह 2017-18 में 18 बच्चे पात्र बताए गए जिसमें से 4 बच्चों को ही साइकिल मिल पाई। वर्ष 2018-19 में 30 बच्चे पात्र बताए गए जिसमें से 3 बच्चों को ही साइकिल मिल पाई। इसी तरह वर्ष 2019-20 में 18 बच्चे पात्र बताए गए लेकिन किसी को साइकिल नही मिल पाई। अभी तक इन 4 वर्षों में 68 बच्चों को साइकिल देना शेष है।
ग्रामीणों ने बताई जवाबदारों की लापरवाही- जब इस संबंध में ग्रामीणों से चर्चा की गई तो ग्राम पालड़ा निवासी भाजपा पिछड़ावर्ग मोर्चा प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष सुंदर यादव ने बताया कि यह वास्तविकता है कि आसपास के गांवों के बच्चे पालड़ा पढऩे आते हैं और ऑनलाइन डॉटा इंट्री के चक्कर में उन्हे साइकिल नही मिल पा रही है, जबकि इस पंचायत के दो गांव राजस्व ग्राम घोषित हो चुके हैं। यह जवाबदारों की अनदेखी है।
सुल्तानपुरा है जनपद उपाध्यक्ष का गांव- ग्राम पंचायत पालड़ा के सुल्तानपुरा में जनपद उपाध्यक्ष मानसिंह गुर्जर भी निवास करते हैं। जनपद उपाध्यक्ष का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है। पारिवारिक समग्र आइडी में गांव का नाम अलग नही होने के कारण ग्रामीणों को भी शासन की योजनाओं का लाभ नही मिल पाता है। अब बुढ़ाडुंगर एवं सुल्तानपुरा राजस्व ग्राम घोषित हो चुके हैं। इस संबंध में जनपद सीईओ से चर्चाकर समस्या का समाधान शीघ्र कराया जाएगा।
परिवार समग्र आईडी से होता है डाटा अपडेट
जब इस समस्या की पड़ताल पत्रिका द्वारा की गई तो मूल समस्या समय पर डाटा अपडेट नही होना सामने आया है। ग्राम पंचायत पालड़ा के अंतर्गत आने वाले सभी मझरे टोले के निवासियों की समग्र आईडी में पालड़ा ही दर्ज है। अब ग्राम सुल्तानपुरा एवं बुढ़ाडुंगर को राजस्व ग्राम घोषित किया जा चुका है लेकिन पंचायत स्तर पर इन दोनों राजस्व ग्राम का अपडेशन नही किया गया, जिसकी वजह से आज भी इस पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों के निवासियों की पारिवारिक आईडी में ग्राम पालड़ा ही प्रदर्शित होता है।
ऑनलाइन प्रक्रिया बनी बाधा
जब साइकिल वितरण के संबंध में प्रधानाध्यापक एनके कुंभकार से जानकारी ली गई तो उन्होने बताया कि वास्तविकता में पात्र बच्चे 2 किमी से अधिक दूरी से आते हैं। कुछ बच्चे तो करीब 5 किमी दूर से आते हैं, लेकिन जैसे ही हम लोग उनका नाम ऑनलाइन दर्ज करते हैं तो उनके गांव का नाम हट जाता है और पंचायत मुख्यालय पालड़ा ही उनका निवास प्रदर्शित होता है। ऐसी दशा में पात्र होने के बावजूद वे बच्चे साइकल योजना से वंचित रह जाते हैं। हमारे यहां वर्ष 2018-19 में 147 विद्यार्थी थे जिनमें से 57 बालक और 42 बालिकाओं को गणवेश भी नही मिली है। इस शैक्षणिक सत्र में 185 विद्यार्थी प्रावि, मावि में अध्ययनरत हैं।
ग्राम पंचायत पालड़ा के अंतर्गत आने वाले ग्राम सुल्तानपुरा, बुढ़ाडुंगर एवं मझरे टोले अभी तक पालड़ा में ही शामिल थे और इनके निवासियों की पारिवारिक आईडी में पालड़ा ही प्रदर्शित होता है। राजस्व ग्राम होने के बाद आईडी में परिवर्तन किया जाना शेष है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर समस्या का समाधान किया जाएगा।
सजनसिंह सिसौदिया, पंचायत सचिव पालड़ा
ग्राम पालड़ा में स्थित माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को साइकिल न मिलने की जानकारी हमें नही है। आपके माध्यम से ही मिल रही है। पूरे मामले को दिखवाता हूं और अतिशिघ्र बच्चों को साइकिल दिलवाने की व्यवस्था करने के प्रयास किए जाएंगे।
डीएस चौहान, डीपीसी आगर

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