शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को जिम्मेदारी दी है कि अब शिक्षक बच्चों को घर-घर जाकर या दनके पालकों से फोन पर बातचीत कर बच्चों को स्कूल लेकर आएंगे। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने सर्वे कराया है। इसमें वार्ड अनुसार स्कूलों के बच्चों की सूची तैयार की गई है। सूची में बच्चों के नाम,पालकों के मोबाइल नंबर और पते का कालम था,लेकिन सर्वे के बाद कई सूची में बस बच्चों के नाम दर्ज हैं। यह सूची सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सौंपी गई है। जिन्हें अब शिक्षकों को दी गई है, जो घर- घर जाकर बच्चों को ढूंढ़कर स्कूल लाएंगे। ऐसे में शिक्षकों के सामने एक नई मुसीबत आ गई है। विभाग ने जो सूची सौंपी है, उसमें करीब 20 फीसदी बच्चे स्कूल जा रहे हैं। वहीं सूची में जो मोबाइल नंबर दिए गए हैं अनमें अधिकांश बंद है। विभाग द्वारा स्कूलों बच्चों का दाखिला बढ़ाने के लिए इन स्कूलों के आसपास की बस्तियों में शाला त्यागी व शाला नहीं जाने वाले बच्चों का सर्वे करने को कहा गया है। वहीं लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा दिए गए निर्देश में कहा गया है कि बस्तियों में ऐसे बच्चों की मैपिंग कर शिक्षक उनका स्कूल में प्रवेश करवाएंगे। अधिक से अधिक बच्चों के दाखिले के लिए निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के लिए अभिभावकों को आकर्षित किया जाएगा।
इतने प्रयास,फिर भी घट रही संख्या
शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली नि:शुल्क किताबें,मध्याह्न भोजन और गणवेश भी विद्यार्थियों को आकर्षित नहीं कर पा रही हैं। सरकारी स्कूलों के मुकाबले निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए विभाग ने हड़बड़ी में सर्वे कराकर सूची शिक्षकों को सौंप दी गई है।
शिक्षकों को हो रही परेशानी
शिक्षकों का कहना है कि आधी-अधूरी जानकारी देने से बच्चों के बारे में जानकारी एकत्र करना मुश्किल हो रहा है। कई अभिभावकों के मोबाइल नंबर लग नहीं रहे हैं, अगर लग भी रहे हैं तो वे अपने बच्चों की जानकारी देना नहीं चाहते हैं।