scriptvideo : चुनावी मुद्दे को लेकर आरएसएस के बारे में ये क्या कह गए सेवादल के मुख्य संगठक | The chief organizer of the Congress Seva Dal accused the RSS | Patrika News
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video : चुनावी मुद्दे को लेकर आरएसएस के बारे में ये क्या कह गए सेवादल के मुख्य संगठक

कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक लालजीभाई देसाई ने आरएसएस पर गद्दार होने का आरोप लगाया है।

उज्जैनSep 13, 2018 / 08:11 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक लालजीभाई देसाई ने आरएसएस पर गद्दार होने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार सेवादल देश में यह चर्चा करने वाली है कि जो खोखला राष्ट्रवाद, 11-13 बार माफी मांगने वाले आरएसएस और उनके साथी, जनसंघी या हिंदु महासभा के जो लोग थे, जो अंग्रेजों की मुखबरी कर देश की आजादी के आंदोलन में गद्दारी करने का काम किया था, अब वह देश को बांटकर, संविधान को कमजोर कर व उस पर सवालिया निशान लगाकर फिर से वही देश के साथ गद्दारी का कार्य कर रहे हैं और राष्ट्रवाद की बात कह रहे हैं। इसलिए जनता के बीच यही चर्चा छेड़ी जाएगी कि सही में राष्ट्रप्रेम चाहिए या वाद-विवाद, खोखला राष्ट्रवाद चाहिए।

चुनावी माहौल में कांगे्रस सेवादल ने आरएसएस के खिलाफ मोर्चा खोला है। शहर आए सेवादल के मुख्य संगठक देसाई मीडिया से चर्चा के दौरान आरएसएस पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा, आरएसएस चुनावी मुद्दा भटकाता है। चुनाव से पहले विकास की बात करते हैं और चुनाव नजदीक आते ही भारत-पाकिस्तान, शमशान-कब्रिस्तान, हिंदु-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद और कभी-कभी कब्र से वह जिन्न को भी बाहर निकालकर ले आते हैं। यदि वे सच्चे देश भक्त हैं तो भगवा की जगह तिरंगा क्यों नहीं लहराते। वह कहते हैं कि देश खतरे में है, लेकिन हमें लगता है कि जब कोई राजनीतिक दल या नेता खतरे में होता है तब देश के खतरे की बात करता है। आज यदि कोई खतरे में है तो देश का संविधान खतरे में हैं। संविधान को बचाने व उसे और मजबूत करने के लिए सेवादल मैदान-ए-जंग में उतर रहा है। हम चुनावी मुद्दे को भावनात्मक मुद्दे की जगह देश की जनता के शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा जैसे मुद्दे हैं, उस प्राकर की राजनीति करेंगे, सीधा कैम्पेन करेंगे। चर्चा से पूर्व देसाई ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर सेवादल के आगामी कार्यों की जानकारी दी। साथ ही तब लड़े थे गोरों से, अब लड़ेंगे चोरों… से जैसे कई नए नारे दिए। इस दौरान अरुण रोचवानी, शहर अध्यक्ष महेश सोनी, शिव लश्करी, विवेक गुप्ता आदि मौजूद थे।

सीएम बनाने वाले कहते हैं हम राजनीति नहीं करते
किसी का नाम लिए बिना देसाई ने कहा, कोई एक संगठक हैं जो कहता है कि हम राजनीति में नहीं हैं, लेकिन पूरी तरह से राजनीति करते हैं। वह खुद सीएम-पीएम बनाते हैं। राज्यपाल बनाते हैं। विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर भी, जब तक वह अपनी (संगठन) चड्डी नहीं पहनेगा, तब तक उसे वाइस चांसलर नहीं बनाते हैं। स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर भी चड्डी पहना हुआ जरूरी है। अब यह सब राजनीति नहीं है तो क्या है। यदि राजनीति करना है तो खुलकर मैदान में आएं, हम तो खुलकर मैदान में हैं।

30 सीटों पर लेंगे जिम्मेदारी
सेवादल विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने की तैयारी कर रहा है। देसाई के अनुसार मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तलंगाना में कांगे्रस की जो सबसे मुश्किल सिटें होंगी, वहां कैम्पेन करेंगे। भाजपा के जो बड़े-बड़े नेता लगातार जीतकर आ रहे हैं, भाजपा के उन महारथियों को घेरने का कार्य सेवादल करेगा। मप्र में एेसी 30 सीटों पर सेवादल यह जिम्मेदारी लेगा। सेवादल यूथ ब्रिगेड भी लांच किया गया है। उनका ड्रेस कोड निली जिंस, सफेद टी-शर्ट व सफेद केप होगा। ब्रिगेड जनता की लड़ाई लड़ेगा। पहले सेवादल सेवादल कांगे्रस का डिसिप्लीन, पार्टी कार्यक्रमों की व्यवस्था का कार्य करता था लेकिन अब सेवादल सीधे संघर्ष और आंदोलन तक जाएगा।

पांच हजार जगह लहराएंगे तिरंगा
हर जिले में प्रत्येक महीने के आखिरी रविवार को सार्वजनिक स्थान पर सेवादल तिरंगा लहराने का कार्य कर रहा है। देसाई ने बताया २८ दिसंबर तक हम लोग देश में 5 हजार जगह पर तिरंगा लहराकर अति राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रप्रेम की चर्चा छेडऩा चाहते हैं। कॉलेजों में इस पर चर्चा भी की जाएगी। जब पांच हजार सार्वजनिक स्थानों पर आयोजन होंगे तो वहां यह चर्चा होगी कि देश में चुनावी मुद्दे वह होंगे जो पार्टी तय करती है या वह होंगे जो देश की जनता तय करेगी। उन्होंने 31 अक्टूबर को एक हजार जगह पर रक्तदान करने की बात भी कही।

एट्रोसिटी एक्ट पर दिया घुमावादार जवाब
चर्चा के दौरान देसाई ने राष्ट्र पे्रम जगाने, राष्ट्र एकता बढ़ाने, धर्म-जाति में लोगों को न बांटने जैसी बातें तो काफी कहीं, लेकिन एट्रोसिटी एक्ट और इससे देश में बढ़ रही खींचतान व आंदोलनों के सवाल पर वह अपना स्पष्ट मत देने से बचते रहे। उन्होंने कहा, आरक्षण के अलग-अलग तरीके होते है, एक सोश्यल इन इक्वायलिटी से हुआ आरक्षण होता है, एक जेंडर की इनइक्वायलिटी से और एक क्लास की इनइक्वायलिटी से आया हुआ आरक्षण होता है। जो समाज जिस संदर्भ में हैं उसके लिए उस आधार पर प्रोविजन होना चाहिए। जहां सामाजिक शोषण हैं तो वहां सामाजिक संरक्षण की आवश्यकता है। एट्रोसिटी एक्ट या इसमें बदलाव को लेकर उन्होंने कहा- मैं देश के संविधान के साथ हूं।

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