सीएमएचओ ने किया ट्रामा सेंटर का निरीक्षण
उज्जैन•Oct 12, 2019 / 08:35 pm•
Mukesh Malavat
सीएमएचओ ने किया ट्रामा सेंटर का निरीक्षण
शाजापुर. शाजापुर जिला मुख्यालय पर 10 करोड़ की लागत से ट्रामा सेंटर का भवन तैयार किया गया है। ए और बी ब्लॉक तैयार होने के बाद अब अस्पताल शिफ्टिंग के स्थानांतरण की चल रही है, लेकिन पूरा अस्पताल भवन में शिफ्ट नहीं हो सकता है, ऐसे में कुछ वार्ड शिफ्टिंग किए जाने हैं। इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन पहले ही स्टाफ और संसाधन की कमी बताकर पीछे हट चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग जिलेवासियों को बिल्डिंग का लाभ दिलाना चाहता है। इसे लेकर शनिवार को सीएमएचओ डॉ. प्रकाश विष्णु फूलंबीकर ने पूर्व सिविल सर्जन डॉ. एसडी जायसवाल व स्टाफ के साथ ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग का निरीक्षण किया। तीन मंजिला बनी इस बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर से लेकर तीसरी मंजिल तक कौन-कौन से वार्ड शिफ्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए व्यवस्थाएं देखीं। सीएमएचओ डॉ. फूलंबीकर ने बताया कि ठेकेदार ने भवन सौंप दिया है, अब हमारी जिम्मेदारी है कि अस्पताल वहां स्थानांतरित किया जाए। स्टाफ और संसाधन की आवश्यता है इसके लिए पत्र भी दिखा गया है, लेकिन शिफ्टिंग के लिए हमने प्राथमिक कार्य शुरू कर दिए हैं। इसके पहले सीएमएचओ डॉ. फूलंबीकर ने वर्तमान अस्पताल का निरीक्षण किया, यहां से कौन से वार्ड पहले शिफ्ट किए जा सकते हैं और क्या-क्या सुविधाएं वहां दी जा सकती है, इसकी जानकारी जुटाई।
ए और बी ब्लॉक में लगेंगे 160 पलंग
ट्रामा सेंटर के ए और बी ब्लॉक में बने कमरों में कुल 160 पलंग लग सकते हैं। बाकी जगह स्टाफ व संसाधनों के लिए है। ग्राउंड तल पर 20-25 बेड इसके अलावा प्रथम, दूसरी और तीसरी मंजिल पर 48-48 बेड लगेंगे। जिसमें कुछ ओपीडी, इमरजेंसी, मेटरनिटी विंग, एसएनसीयू, बच्चा वार्ड, ओटी ओर नेत्र विभाग आ सकता है।
नई बिल्डिंग में इस तरह रहेंगे वार्ड
भूतल : ओपीडी, इमरजेंसी विंग, पर्चा काउंटर, कुल 20 पलंग
प्रथम मंजिल : मेटरनिटी विंग, कुल 48 पलंग
द्वितीय मंजिल : एसएनसीयू, बच्चा वार्ड, कुल 48 पलंग
तीसरी मंजिल :ऑपरेशन थियेटर, नेत्र विभाग
वार्ड स्थानांतरण के पहले ये जरूरी
वार्डों के स्थानांतरण के पहले स्टाफ और संसाधनों की पूर्ति होना जरूरी है, ऐसा नहीं होने पर व्यवस्थाएं और अधिक बिगड़ सकती है। फिलहाल एसएनसीयू, ओटी और मेटरनिटी विंग में ऑक्सीजन लाइन डालना शेष है। साथ ही नए भवन के लिए अभी तक पलंग, स्टे्रचर, व्हील चेअर भी नहीं आए हैं। वर्तमान में जिला अस्पताल के सभी वार्डों के पलंग फुल हैं। ऐसे में नए पलंगों के बगैर स्थानांतरण मुश्किल है।
ऐसे चलता रहा ट्रामा का ड्रामा
20 मई 2015 में ट्रॉमा सेंटर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया था। इसकी लाग साढे 6 करोड़ से बढकऱ 9 करोड़ से ऊपर पहुंच गई। इसके बाद ए, बी ब्लॉक बनकर तैयार हुए। बजट के अभाव में अभी भी सी ब्लॉक का काम रुका हुआ है। दो ब्लॉक तैयार होने के बाद विधानसभा चुनाव के पूर्व 16 सितंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 15 किमी दूर ग्राम तिलावद गोविंद से लोकार्पण किया था, इसके बाद स्थानीय विधायक ने ट्रामा सेंटर पहुंचकर लोकार्पण कर दिया। दो बार लोकार्पण के एक साल बाद भी ट्रामा सेंटर के भवन में अस्पताल का संचालन नहीं हो सका। अभी भी स्टाफ और संसाधनों के अभाव में वार्डों का शिफ्टिंग कार्य अधर में अटका हुआ है।
सवा दो करोड़ के संसाधनों की जरूरत
ट्रॉमा सेंटर का संचालन प्रारंभ करने के लिए 2 करोड़ 25 लाख के 94 प्रकार के फर्नीचर, संसाधन और 10 प्रकार के सर्जिकल उपकरण की जरूरत हैं। इनकी सूची एक साल पहले जिला अस्पताल द्वारा पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य आयुक्त भोपाल को भेजी गई हैं। नई बिल्डिंग में स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन प्रारंभ करने के लिए पलंग से लेकर सोलर सिस्टम तक की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य आयुक्त को भेजी गई सूची में 94 प्रकार के फर्नीचर और संसाधन शामिल हैं। वहीं 10 प्रकार के सर्जिकल उपकरण भी मांगे गए हैं। सूची में पलंग, स्ट्रेचर, एसी, लैपटॉप, सीसीटीवी कैमरे, सेंट्रल एसी, एलईडी टीवी, ईसीजी मशीन, इंटरकॉम टेलीफोन, फोन सेट, इमरजेंसी लाइट, जनरेटर के साथ कई तरह के फर्नीचर और संसाधन सूची में शामिल हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजी गई सर्जिकल आइटम की सूची में टॉवेल, मैकइंटोच जैसी दस प्रकार के सामग्री शामिल है। संसाधन खरीदी में करीब सवा दो करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं, लेकिन अभी तक इस मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।