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हाइकोर्ट ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष को पद से हटाने के अपर कमिश्नर कोर्ट के आदेश को शून्य किया

जिला पंचायत में अब कश्मकश की स्थिति, हाइकोर्ट के आदेश से हाल ही में निर्वाचित हुए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव पर भी संकट

उज्जैनMar 14, 2019 / 01:05 am

Gopal Bajpai

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उज्जैन. जिला पंचायत में वर्ष 2015 में हुए स्थायी समितियों के चुनाव में निर्वाचन के दस्तावेज फाडऩे के मामले में अपर कमिश्मर न्यायालय द्वारा पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष भरत पोरवाल को पद से हटाने के आदेश को हाइकोर्ट ने शून्य कर दिया है। ऐसे में अब उपाध्यक्ष पोरवाल दोबारा से जिला पंचायत में उपाध्यक्ष बन गए हैं। हालांकि हाइकोर्ट के आदेश के बाद हाल ही में हुए निर्वाचित हुए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव पर भी संकट की स्थिति बन गई है।
जिला पंचायत में वर्ष 2015 में स्थायी समितियों के चुनाव में निर्वाचन दस्तावेज फाडऩे पर न्यायालय अपर आयुक्त पीआर कतरोलिया ने मप्र पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 (1) के तहत आदेश जारी कर उपाध्यक्ष भरत पोरवाल को पद से हटाया था। साथ ही अगले छह साल तक किसी भी चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी। मामले में भरत पोरवाल ने अपर आयुक्त न्यायालय के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। बुधवार को हाइकोर्ट में न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की बैंच में सुनवाई हुई है। इसमें अपर आयुक्त न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को अपास्त कर दिया है। हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद पोरवाल दोबारा से जिला पंचायत उपाध्यक्ष के लिए मान्य हो गए हैं। वहीं हाइकोर्ट के इस आदेश से जिला पंचायत में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर संशय पैदा हो गया है। यदि पोरवाल दोबारा से उपाध्यक्ष बनते हैं तो निर्वाचित हुए उपाध्यक्ष डॉ. मदनलाल चौहान पद पर रहेंगे या नहीं। वहीं पोरवाल की ओर से हाइकोर्ट में चुनाव रोकने संबंधी अपील भी की थी। ऐसे में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव वैध रहेंगे या नहीं, इसको लेकर भी संशय पैदा हो गया है। जिला पंचायत सीइओ नीलेश पारिख ने बताया कि अभी हाइकोर्ट से फैसले की प्रतिलिपि नहीं नहीं मिली है। यह मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही हो सकेगी। वहीं भरत पोरवाल का कहना है कि यह सत्य की जीत हुई है।
यह हुआ था विवाद
जिला पंचायत में 8 अप्रैल 2015 को स्थायी समिति के चुनाव थे। सुबह 11 बजे शुरू हुई प्रक्रिया में निर्वाचन अधिकारी अपर कलेक्टर कैलाश बुंदेला थे। निर्वाचन प्रक्रिया से पहले अशिक्षा व स्वास्थ्य के कारण वोट करने में असमर्थ सदस्यों के कौन वोट डालेगा को लेकर विवाद शुरू हुआ था। बाद में कृषि स्थायी समिति के निर्वाचन हुए और गणना पत्रक तैयार करते समय विवाद बढ़ गया। इसी दौरान निर्वाचन संबंधी अभिलेख (नाम निर्देशन पत्र व अन्य) फाड़ दिए गए। इससे चुनाव प्रक्रिया बाधित हो गई। वहीं भाजपा-कांग्रेस सदस्य आपस में भिड़ लिए। चुनाव के दौरान बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर गए थे। मामले में माधव नगर थाने में धारा 353, 448, 186 व 34 के तहत प्रकरण भी दर्ज किया गया था।
वीडियो फुटेज के आधार पर फैसला
जिला पंचायत उपाध्यक्ष भरत पोरवाल को पद से हटाने के फैसले में वीडियो फुटेज साक्ष्य बना था। इसमें पोरवाल के पीठासीन अधिकारी के टेबल से निर्वाचन संबंधी दस्तावेज उठाकर उनको फाड़ते हुए दिखाई दिए थे। इसी के बाद अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश व अफरा-तफरी फैलने की घटना दिखाई दी थी। हाइकोर्ट में भरत पोरवाल के उपाध्यक्ष पद से हटाने के अपर न्यायालय के आदेश को अपास्त कर दिया है। अब वे दोबारा से उपाध्यक्ष होंगे। वर्तमान में जो अध्यक्ष व उपाध्यक्ष है उनके बारे में फिलहाल कुछ नहीं कह सकता। कोर्ट से आज-कल में विस्तृत फैसला आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
आशीष गुप्ता, अभिभाषक
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