हॉकर्स जोन के नाम पर नगर निगम केवल एक ही स्थान का चयन कर पाया। नानाखेड़ा स्टेडियम की बाउंड्रीवाल के बाहर बस स्टैंड मार्ग तक। यहां ब्लॉक लगाकर फुटपाथ तैयार किया गया, लेकिन ये काम भी समयबद्ध नहीं होने व प्लानिंग ठीक नहीं होने से किसी काम की नजर नहीं आ रही। काम में लेटलतीफी के चलते ये एकमात्र हॉकर्स जोन भी अस्तित्व में नहीं आ पाया। जबकी निगम प्रशासन की मंशा थीं की शहर के प्रमुख क्षेत्रों में हॉकर्स जोन तैयार कर फुटकर दुकानदारों को व्यवस्थित बाजार मुहैया कराया जाएगा।
ये है सोच, दूर हो सकती है दिक्कतें
– हॉकर्स जोन मेट्रो सिटी में रहते हैं। इससे हर कहीं अतिक्रमण नहीं फैलता और शहरवासियांे को भी एक ही जगह पर रोजमर्रा की वस्तुएं मिल जाती हैं।
– ठेले-गुमटियां हटने से सैकड़ों लोग बेरोजगार हो जाते हैं। इन्हें रोजगार से जोडऩे एेसे जोन जरूरी हैं।
– प्रदेश सरकार के निर्देश पर ही निगम ने ये प्लानिंग बनाई, लेकिन इसके सही दिशा में अमल पर उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ।
– पुराने शहर में फुटकर दुकानदारों को एेसे जोन की दरकार है, लेकिन इनकी चिंता पालने वाला कोई नहीं।
– मजबूरी में ये लोग जहां-तहां अतिक्रमण कर बीच सड़क दुकानें लगाते हैं, जिससे आम लोग परेशान होते हैं।
इनका कहना
फुटकर व पथ विक्रेताओं को व्यापार के लिए उचित स्थान देने निगम को अच्छी जगह का चयन करना चाहिए। जहां सभी जन ठीक से व्यापार भी कर सकें और ग्राहकों को भी सुविधा मिलें।
– देवीलाल चौहान, ठेला सब्जी विक्रेता, फ्रीगंज
गरीब व कमजोर तबके के लोगों को कभी भी रोजगार से बेदखल तो कर दिया जाता है, लेकिन विस्थापन के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं होते। कई लोग दो जून की रोटी के लिए यहां-वहां संघर्ष करते देखे जा सकते हैं। किसी नेता-अधिकारी को इनकी चिंता नहीं। – रवींद्र बागोलिया, सब्जी विक्रेता
शहर के प्रमुख क्षेत्रों हॉकर्स जोन विकसित होना चाहिए, ताकि फुटकर दुकानदारों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हों। क्योंकि शहर में बेरोजगारी बहुत हैं और लोग जैसे-तैसे ही परिवार का गुजर बसर कर पाते हैं। – दिलीप रामी, फ्रूट विक्रेता, देवास रोड