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कॉलेज की यह जानकारी नहीं होने से आ रही परेशानी

उच्च शिक्षा की गलती से बढ़ी परेशानी, कॉलेज चुनने में असिस्टेंट प्रोफेसरों को अड़चन

उज्जैनOct 12, 2019 / 07:22 pm

rishi jaiswal

कॉलेज की यह जानकारी नहीं होने आ रही है परेशानी

उच्च शिक्षा की गलती से बढ़ी परेशानी, कॉलेज चुनने में असिस्टेंट प्रोफेसरों को अड़चन

उज्जैन. पीएससी से चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों ने अपनी पसंद का कॉलेज चुनना शुरू कर दिया है। हालांकि इस प्रक्रिया में उच्च शिक्षा विभाग की एक बड़ी चूक भी सामने आई है। कॉलेज चुनने के लिए ऑन लाइन प्रक्रिया में इसमें कॉलेज के नाम तो दिख रहे हैं, लेकिन किस कॉलेज में कितने पद खाली हैं यह असिस्टेंट प्रोफेसर देख ही नहीं पा रहे हैं। इससे कॉलेज चुनने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल पीएससी से चयनित उच्च शिक्षा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर, अपनी पसंद का कॉलेज चुनना है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। इसी आधार पर विभाग कॉलेजों का आवंटन करेगा। असिस्टेंट प्रोफेसरों का कहना है कि विभागीय वेबसाइट पर संबंधित विषय खोलने पर सिर्फ कॉलेजों का नाम आ रहा है। जबकि उस कॉलेज में खाली पद कितने हैं यह पता ही नहीं चल रहा है। यदि कॉलेज में खाली पदों के बारे में भी विभाग जानकारी दे देता है तो उस आधार पर कॉलेज चुनने में आसानी होगी। साथ ही हमें पसंद का कॉलेज मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी। पीएससी से चयनित एक असिस्टेंट प्रोफेसर एसएय सिंह के अनुसार विभाग ने उन कॉलेजों के नाम सूची में जारी नहीं किए हैं जहां पद खाली नहीं है। एेसे में कॉलेजों में पदों की स्थिति स्पष्ट नहीं है।
सूची जारी की लेकिन महिलाओं को अवसर नहीं

उच्च शिक्षा विभाग ने लोक सेवा आयोग से चयनित महिला असिस्टेंट प्रोफेसरों की सूची तो पिछले दिनों जारी कर दी है, लेकिन न्यायालय की रोक की वजह से महिला असिस्टेंट प्रोफेसर अपने पंसद का कॉलेज चुनकर लॉक नहीं कर सकेंगी। बताया जाता है कि यह 91 महिला असिस्टेंट प्रोफेसर आरक्षित वर्ग की हैं, लेकिन इनका चयन अनारक्षित वर्ग के पदों पर हुआ है। न्यायालय का इस मामले में आदेश आने के बाद ही यह महिला असिस्टेंट प्रोफेसर अपने पसंद का कॉलेज लॉक कर सकेंगी। हालांकि महिला असिस्टेंट प्रोफेसर के अनुसार जिन लोगों ने पहले पसंद का कॉलेज चुनने की प्रक्रिया कर दी हैं। उन्हें अपनी पसंद का कॉलेज मिल जाएगा,लेकिन बाद में इस प्रक्रिया में शामिल होने वाली महिला असिस्टेंट प्रोफेसरों को पसंद का कॉलेज मिलने की संभावना कम हो जाएगी, क्योंकि उनके कॉलेज पसंद करने तक अधिकांश कॉलेजों में पद भर जाएंगे।

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