पं. गोविंद शर्मा के अनुसार वृषभ राशि में गोचर 15 मई से प्रांरभ होगा। वृषभ में सूर्य 15 दिन रहेंगे। इसके साथ ही सूर्य 25 मई रात 8.23 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके साथ नवतपा शुरू होगी।
यह ग्रह करेगा नक्षत्र परिवर्तन
27 मई की शाम को 6 बजे शुक्र ग्रह का कृतिका नक्षत्र में प्रवेश होगा। कृत्रिका नक्षत्र के स्वामी अग्निदेव हैं। शुक्र का जब कृत्रिका नक्षत्र में प्रवेश होता है। तब सूर्य से तपिश के योग बनते हैं तो वर्षा ऋतु स्रह्य दौरान बाढ़ की स्थिति निर्मित होती है।
29 मई की शाम को 5.58 मिनट पर बुध ग्रह का मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश होगा। कृतिका बुध का नक्षत्र है, लेकिन चंद्रमा का पुत्र होने के कारण यह सूर्य के रोहिणीकाल में बारिश की स्थिति बनाता है। इससे लगातार बारिश के योग बनते रहेंगे।
31 मई को सुबह 11.30 मिनट पर वक्री गुरु का ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश होगा। वक्री गुरु ज्येष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करेगा। इसके स्वामी इंद्र हैं। इन्हें वर्षा का कारक माना जाता है। गुरु के वक्रत्व काल होने के कारण देश में इस वर्ष खंड वर्षा होगी।
7 जून सुबह 7.40 मिनट पर मंगल ग्रह का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश होगा। यह स्थित विशेष योग का निर्माण करेगी। पुनर्वसु नक्षत्र की स्वामिनी अदिती है। इस वर्ष वर्षा ऋतु के लिए होने वाले पर्जन्य अनुष्ठान सफल होंगे। इस दौरान अच्छी बारिश होने की संभावना है।
22 जून से शुरू होगी बारिश
इस वर्ष 22 जून रात 1 बजकर 4 मिनट पर सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही बारिश शुरू हो जाएगी। इस वर्ष औसत से ज्यादा बारिश की संभावना है। इस वर्ष 55 दिन बारिश होने की संभावना है।
इसलिए पड़ती है नवतपा में गर्मी
जानकारी के अनुसार रोहिणी नक्षत्र का अधिपति चंद्रमा है। सूर्य ताप तेज का प्रतीक है, जबकि चंद्रमता शीतलता के प्रतीक। सूर्य जब चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है, तब यह चंद्रमा के प्रभाव को पूरी तरह से क्षीण कर देता है। इसके कारण पृथ्वी को शीतलता नहीं मिल पाती है।