यहां आते हैं शहीदों के परिजन
इस मंदिर में शहीदों के परिजनों का नियमित आना लगा रहता है, वे वर्ष में एक आयोजन शहीद दिवस यानी 30 मार्च को नियमित रूप से करते थे। उन्होंने गीता सरलतम सारयुक्त नामक पुस्तक भी लिखी थी। यह खबर आप पत्रिका डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
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२१ परमवीरों-कर्मवीरों की प्रतिमाएं हैं यहां
इस मंदिर में 21 परमवीर सोमनाथ शर्मा, करमसिंह, रामराधोबा राणे, जादूनाथ सिंह, पीरूसिंह, गुरुवचन सिंह, धानसिंह थापा, जोगेंद्रसिंह, शैतानसिंह, अब्दुल हमीद, एबी तारापुर, अल्बर्ट इक्का, निर्मलजीत सिंह, अरुण खेत्रपाल, होशियार सिंह, बानासिंह, रामा स्वामी, विक्रम बत्रा, मनोजकुमार पांडे, योगेंद्रसिंह यादव, संजयकुमार की मूर्तियां लगी हैं। (पत्रिका डॉट कॉम)
ये हैं कर्मवीर, जिनकी जानकारी मिलती है
इस मंदिर में उन लोगों की रोचक जानकारी मिलती है, जिन्होंने अपने कर्म से दुनिया में खुद को अलग साबित कर दिखाया। अर्थात महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, रवींद्रनाथ टैगोर, पं. जवाहरलाल नेहरू हैं, साथ ही आजाद हिंद फौज का गठन करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित है।
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मंदिर में करीब 50 मूर्तियां
इस मंदिर में करीब 50 मूर्तियां लगी हैं और सभी के नीचे उनकी जीवनी लिखी है। मंदिर में परमवीर चक्र प्राप्त सैनिकों के अलावा युवाओं को प्रेरणा देने के लिए स्वामी विवेकानंद और खिलाडिय़ों के लिए ध्यानचंद की मूर्तियां भी हैं। (patrika) इसके अलावा तस्वीरों में भारत का इतिहास, संस्कृति, भूगोल, कला, खेल, नदियों आदि की जानकारी दी गई है।
आजादी के बाद जो प्रथम रहे, उनकी भी हैं प्रतिमाएं
विभिन्न क्षेत्र के स्वतंत्रता के बाद जो प्रथम रहे हैं। उनकी प्रतिमाएं भी यहां स्थापित की गई हैं। इनमें प्रथम थल सेना अध्यक्ष जनरल केएम करीअप्पा, प्रथम फील्ड मार्शल जनरल मानेकशा तथा वायुसेना अध्यक्ष अर्जुनसिंह की प्रतिमा स्थापित है। प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, प्रथम लोकसभा अध्यक्ष मावलणकर, प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रथम नोबेल विजेता मदर टेरेसा की प्रतिमाएं हैं। (patrika) रिटायर्ड जज चौधरी कहा करते थे कि देश के परमवीरों को नई पीढ़ी पहचाने, उन्हें अपने आदर्श के रूप में अपनाए, यही उनका लक्ष्य है।
२००९ में बनकर तैयार हुआ मंदिर
वर्ष 2003 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने रिटायरमेंट की प्राप्त राशि से नृसिंह घाट के पास करीब 10 हजार वर्गफुट जगह में भारत सेवक मंदिर का निर्माण की नीव रखी। 2009 में इसकी स्थापना की। शुरुआत में तस्वीरों के जरिए भारत की गाथा बताई। एक साल बाद परमवीर और कर्मवीरों के स्टेच्यू स्थापित किए।
भारत का बड़ा नक्शा, जिसमें बनाए बारह ज्योतिर्लिंग
मंदिर के भीतर भारत का बड़ा नक्शा पीतल से बनाया गया है। इसमें बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां बनाई गई हैं। महज 20 सेकंड में पूरे भारत की परिक्रमा की जा सकती है। साथ ही बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी हो जाते हैं।