कुछ दिनों पहले उनको हार्ट अटैक आया था, जिसके चलते अब वह भगवान महाकाल की सेवा तो नहीं कर पा रही, लेकिन उनके द्वारा अब जीवन के अंतिम क्षण में अपनी पूरी कमाई भगवान महाकाल के नाम करने की तैयारी की जा रही है। सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि मंदिर से जुड़े महेंद्र कटियार, शांतिलाल बैरागी, प्रभात साहू, गोपाल, हरीश पाटीदार और रितेश पांचाल द्वारा सूचना मिली कि बेबी बाई द्वारा अपनी पूरी संपत्ति भगवान महाकाल के नाम दान करने की इच्छा जता रही है। उनके नाम बैंक में एक लाख 60 हजार की एफडी और करीब दो लाख रुपए बैंक में हैं, जिसकी जांच-पड़ताल कर भगवान महाकाल को संपत्ति सौंपी जाएगी। उनके जीवित रहने तक यह संपत्ति उनके ही नाम रहेगी और मरणोपरांत यह भगवान महाकाल के नाम हो जाएगी।
देश दुनिया में यूं तो भगवान शिव शंकर के अनेक मंदिर हैं। वहीं भगवान शिव को ही महादेव के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में देवों के देव महादेव भगवान शंकर की नगरी कही जाने वाली अवंतिका नगरी यानि उज्जैन की कई बातें शायद आपमें से कई लोग जानते भी नहीं होंगे। दरअसल महाकाल की नगरी अवंतिका नगरी यानि उज्जैन अपने आप में बहुत अद्भुत है। शिप्रा नदी के किनारे बसे और मंदिरों से सजी इस नगरी को सदियों से महाकाल की नगरी के तौर पर जाना जाता है। उज्जयिनी और अवन्तिका नाम से भी यह नगरी प्राचीनकाल में जानी जाती थी। स्कन्दपुराण के अवन्तिखंड में अवन्ति प्रदेश का महात्म्य वर्णित है। उज्जैन के अंगारेश्वर मंदिर को मंगल गृह का जन्मस्थान माना जाता है, और यहीं से कर्क रेखा भी गुजरती है। मध्य प्रदेश का उज्जैन एक प्राचीनतम शहर है जो शिप्रा नदी के किनारे स्थित है और शिवरात्रि, कुंभ और अर्ध कुंभ जैसे प्रमुख मेलों के लिए प्रसिद्ध है।