विश्वविद्यालय ने बना लिया फर्जी ई-स्टाम्प, पुलिस और प्रधानमंत्री को शिकायत

Gopal Swaroop Bajpai | Publish: Sep, 09 2018 12:38:29 PM (IST) Ujjain, Madhya Pradesh, India
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा, एनएसयूआइ और भायुछासं ने टीआइ को दिया आवेदन, नोटरी का लाइसेंस समाप्ति के बाद भी करा लिए हस्ताक्षर
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय के मैट्रो बुक प्राइवेट लिमिटेड से मई माह में हुए अनुबंध की शिकायत माधवनगर पुलिस से हुई। शनिवार को एनएसयूआइ और भारतीय युवा छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने टीआइ को शिकायती आवेदन दिया। इसमें बताया कि यह अनुबंध जिन्होंने नोटरी किया है। वह यह काम करने के लिए अधिकृत नहीं थे। उनका लाइसेंस निरस्त हो चुका है। इसी के साथ इस प्रक्रिया में कई अन्य संदेहस्पद बिंदु है, इसलिए इनकी जांच कर प्रकरण दर्ज किया जाए। विद्यार्थियों ने एक आवेदन एसपी ऑफिस में भी दिया। इस दौरान एनएसयूआइ के प्रीतेश शर्मा, जिलाध्यक्ष अंबर माथुर, रंचित व्यास सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री को शिकायत
विवि में किताब खरीदी व अन्य प्रकरणों में लगातार धांधली उजागर होने के मामले की शिकायत राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग को हुई। लंबित हाईकोर्ट के निर्णय आने के बाद भी उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इधर अब कूटरचित काम का मामला सामने आने के बाद शनिवार को आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेंद्र शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विक्रम विश्वविद्यालय की शिकायत भेजी है। ईमेल के माध्यम से भेजी गई शिकायत में मांग की गई है कि तत्काल सभी शिकायतों की जांच की जाए और पूरे प्रकरणों में कुलपति की भूमिका संदिग्ध है इसलिए उनको पद से हटाया जाए। बता दें, विक्रम विवि में वर्ष 2015 और 2016 में हुई किताब खरीदी प्रक्रिया की हाइकोर्ट के आदेश पर जांच जारी है। इस जांच में राजभवन व उच्च शिक्षा विभाग को 30 दिन का समय दिया गया, लेकिन दो माह बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी।
यह है मामला
विक्रम विवि प्रशासन ने नवंबर 2017 में किताब खरीदी की निविदा जारी की। इसके आधार पर मेट्रो बुक प्रा. लिमिटेड को किताब खरीदी के लिए अधिकृत किया गया। इसी निविदा के आधार पर विक्रम विवि कुलसचिव डॉ. परीक्षित सिंह व मेट्रो के प्रतिनिधि के बीच अनुबंध किया गया। सूचना के अधिकार से सामने आए दस्तावेजों से यह अनुबंध पूरी तरह से संदिग्ध व कूटरचित नजर आ रहा है।
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