विक्रम विश्वविद्यालय ने परीक्षा के मूल्यांकन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से स्नातक स्तर पर वार्षिक प्रणाली की प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षाओं में पहली मर्तबा बार कोड वाली उत्तर पुस्तिकाआें का प्रयोग किया था। स्नातक स्तर की प्रथम एवं द्वितीय वर्ष की बीए, बीएससी, बीकॉम, बीएचएससी, बीबीए, बीसीए और बीकॉम ऑनर्स की परीक्षा बार कोड वाली उत्तर पुस्तिकाआें पर ली।
स्पष्ट नहीं बार कोड
उत्तर पुस्तिकाआें में पहले पेज पर तीन कॉलम का प्रयोग किया, जिसमें प्रत्येक कॉलम में बार कोड है। केवल एक ही कॉलम ऐसा है, जिसमें विद्यार्थी का रोल नंबर है। इससे ही विद्यार्थी की पहचान पता चल सकती है। इस कॉलम वाले हिस्से को कॉपी से अलग कर विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग को दिया गया। बाकी दो हिस्सों में से एक हिस्सा बार कोड वाली उत्तर पुस्तिका के साथ मूल्यांकनकर्ता को और दूसरा हिस्सा विश्वविद्यालय के रेकॉर्ड में जमा किया है। मूल्यांकन के बाद प्रथम हिस्से को स्कैन कर संबंधित विद्यार्थी के अंकों की सूची तैयार की जा रहीं है। स्कैनिंग में परेशानी यह है कि कई कॉपियों में बार कोड का मिलान ही नहीं हो पा रहा है। क्योंकि बार कोड में डाली गई लाइनों की प्रिंट काफी मध्यम या गलत है। इससे स्कैनर भी इन्हें पढ़ नहीं पा रहा। नतीजतन स्नातक स्तर की 7 पाठ्यक्रमों की कई परीक्षाओं के परिणाम अटक गए हैं। इससे ४० हजार से अधिक विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि उत्तर पुस्तिकाआें पर बारकोड का कार्य विवि में उस एजेंसी को दिया गया था, जिसका ठेका करीब ६ माह पहले खत्म कर दिया था। इससे भी परीक्षा परिणाम तैयार करने वाली नई एजेंसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ परिणाम ही घोषित
विक्रम विश्वविद्यालय की स्नातक स्तर के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष में 7 पाठ्यक्रमों की परीक्षा में करीब ६५ हजार
विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था। परीक्षा होने के चार माह बाद भी करीब २५ हजार विद्यार्थियों के ही परीक्षा परिणाम घोषित किए गए हैं। इनमें भी अनेक विसंगतियां, जैसे उत्र्तीण छात्र को पूरक या अनुत्र्तीण दर्शाया जा रहा है। अंक योजना में समन्वय नहीं है। अंकों में गड़बडियां हैं। इसी स्थिति में लगभग प्रतिदिन विवि में छात्रों के प्रदर्शन होने के बाद विवि के अधिकारी केवल आश्वासन दे रहे हैं।
नई एजेंसी का तालमेल नहीं
नया ठेका होने के बाद परीक्षा जैसे कार्य की आवश्यकता दिखाने के साथ एजेंसी के कार्य का प्रदर्शन देखने का हवाला देकर विवि प्रशासन द्वारा नई एजेंसी इमेज इन इंडिया सॉल्यूशन दिल्ली को काम सौंप दिया गया। इसके लिए नियमानुसार अनुबंध भी नहीं किया और बीते छह माह से नई एजेंसी द्वारा बगैर अनुबंध के कार्य किया जा रहा है। इसके साथ विवि प्रशासन ने नई एजेंसी को पूर्व की एजेंसी के पास उपलब्ध विवि के फॉर्मेट के साथ अन्य जानकारी भी उपलब्ध करा दी है। इसमें नई एजेंसी तालमेल नहीं बना पा रही है, वही अनुभव की कमी आड़े का रही है। परिणाम तैयार करने वाली एजेंसी की लापरवाही से परिणामों में कई विसंगतियां सामने आ रही हैं। अनुभवहीनता के कारण नई एजेंसी पहले ही सही तरीके से परिणाम बनाने में असफल है। कोई बड़ी गड़बड़ी होती है तो अनुबंध नहीं होने के कारण एजेंसी इससे पल्ला झाड़ सकती है। ऐसे हालात में गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार होगा।
यह भी कारण
– बार कोड प्रयोग अधूरी तैयार के साथ प्रयोग में लाया गया।
– कई केंद्र ने बार कोड उत्तर पुस्तिकाआें के एक हिस्से को अलग कर विवि के गोपनीय विभाग को नहीं भेजा।
– परिणाम तैयार करने वाली एजेंसी को बदला है।
विसंगतियों और अन्य दिक्कतों को दूर कर परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। प्रयास है कि ३० सितंबर तक सभी परिणाम घोषित कर दिए जाए। अन्य दूसरी परेशानियों का निराकरण भी किया जा रहा है।
– प्रो. बालकृष्ण शर्मा, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय