श्री महाकालेवर मंदिर के गर्भगृह में मार्बल बदलने का कार्य 30 अप्रैल से प्रारंभ किया गया है। गर्भगृह में लगने वाला मार्बल आशीष पुजारी की प्रेरणा से गुप्त दान में प्राप्त हुआ है। मार्बल बदलने में 3 दिन लगेंगे। इस दौरान गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। दर्शनार्थी नंदी हॉल के पीछे लगे बैरिकेड्स से ही दर्शन कर पाएंगे।
वैसे भी लगातार बंद ही रहता है प्रवेश
दर्शनार्थियों को जब इस की सूचना लगी तो प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ ऐसा कहा कि अभी तीन दिन प्रवेश बंद है, तो सूचना दी जा रही है। लेकिन यहां तो लगातार प्रवेश बंद ही रहता है। कई भक्त दूर-दूर से आकर भगवान को दूर से ही निहारते हैं।
दो दिन पहले हो चुका है हंगामा
दो दिन पहले ही बैरिकेड्स में खड़े होकर दर्शनार्थियों ने जल और दूध से भरे लौटे मंदिर के कर्मचारियों और पुजारियों पर फेंके थे। क्योंकि अचानक गर्भगृह के प्रवेश रोक दिए गए, जिससे वे नाराज हुए और ये स्थिति बनी। अब जब मार्बल बदलने की बात आ रही है, तो प्रवेश रोकना पड़ रहा है।
२५० की रसीद का क्या औचित्य
एक तरफ तो मंदिर समिति अपनी आय बढ़ाने के लिए वीआईपी दर्शन के नाम से २५० रुपए की रसीद काटती है, वहीं दूसरी तरफ प्रोटोकॉल के जरिए नि:शुल्क पर्ची बनाकर दी जा रही है। २५० की रसीद कटवाने के बावजूद दर्शनार्थी गर्भगृह तक नहीं पहुंच पाता, जबकि नि:शुल्क पर्ची लेने वाला छोटे रास्ते से होकर नंदी हॉल तक चला जाता है।
सिक्युरिटी गार्ड, गर्भगृह निरीक्षक और कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या
मंदिर में निजी सिक्युरिटी गार्ड, पुलिस प्रशासन, गर्भगृह निरीक्षक और कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या होने के बाद भी मंदिर समिति के जिम्मेदार व्यवस्था की दुहाई देकर आए दिन गर्भगृह में प्रवेश बंद कर देते हैं। मंदिर के पुजारी-पुरोहितों ने बताया कि ऐसे अधिकारियों को कमान दे रखी है, लगता है इन्होंने कभी भीड़ देखी ही नहीं, घर से ही आदेश जारी कर देते हैं, रोक दो प्रवेश।
नागपंचमी पर 24 घंटे में कैसे करवा देते हैं दर्शन
वर्ष में एक बार मात्र 24 घंटे के लिए खुलने वाले श्रीनागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। इस एक दिन के लिए पुलिस और प्रशासनिक अमला पूरी संजीदगी से मौजूद रहता है। श्रद्धालु भी घंटों कतारबद्ध होकर गर्भगृह में जल, दूध अर्पण करते हुए बाहर निकल जाते हैं, तो फिर महाकाल के गर्भगृह में आम दिनों में इतनी पाबंदी क्यों।