कई खिताबों पर जमा चुके हैं कब्जा
विशाल क्रिकेट के साथ बॉडी बिल्डिंग में भी हिस्सेदारी करते हैं। विशाल को उत्साहित करने वाले दिल्ली निवासी संपत सारवन हैं। विशाल की बातें सुनने के बाद सरवान ने जिम जाने की सलाह दी। गुरु की उपमा देने वाले विशाल ने सारवान की बातों को गंभीरता से लिया और उनके कहे अनुसार जिम जाना शुरू कर दिया। डिसेबिलिटी बॉडी बिल्डिंग श्रेणी में आने के बाद विशाल ने 10 से अधिक प्रदेश व राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिताओं में नाम दर्ज करवाया है।
दिव्यांग होने के बावजूद बखूबी निभाई जिम्मेदारियां
दिव्यांग होने के बावजूद पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करने वाले विशाल चौहान की दिनचर्या थोड़ी कठिन है। सुबह 5 से 8 बजे तक वह जिम में समय बिताते हैं। उसके बाद सुबह 10 से शाम 5 बजे तक मैकेनिक के रूप में कार्यकर पारिश्रमिक अर्जित करते हैं। उम्मीदों को पंख लगाने वाले विशाल की चाहत बॉडी बिल्ंिडग से भी पूरी नहीं हो सकी तो क्रिकेट का शौक अपना लिया। मप्र डिसेब्लिटी क्रिकेट टीम में स्वयं का नाम दर्ज करवा लिया। अब विशाल शाम 5.30 बजे से 8 बजे तक व्हीलचेयर क्रिकेट प्रैक्टिस के साथ अन्य युवाओं को भी प्रशिक्षण देते हैं।
जन्म के नौ माह बाद ही हुआ पोलियो
मैकेनिक का कार्य करने वाले विशाल को जन्म के नौ बाद ही पोलियो की चपेट में आ गए थे। किशोर अवस्था में पहुंचे। 12वीं पास करने के बाद पढ़ाई को छोड़ मैकेनिक का पेशा अपनाया और पारिवारिक जिम्मेदारियां होने के बाद भी विशाल के मन में बॉडी बिल्डिंग करने की चाह खटकती रही।