रोशनी के नाम पर गरीबी के अंधेरे के और गहराने का यह दर्द सिर्फ मंजू बाई का ही नहीं है, कई गरीब परिवारों पर बिजली बिल उनके लिए सदमा बनकर आया है। इनमें से अधिकांश इंदिरा गृह ज्योति योजना के हितग्राही हैं। मंगलवार को एक दर्जन से अधिक लोगों को मजबूरी में अधिकारियों से गुहार लगाने बृहस्पति भवन पहुंचना पड़ा। किसी ने अधिकारियों को बताया कि बीते महीनों तक उनका बिजली बिल १००-२०० रुपए ही आता था लेकिन अब दो-तीन हजार रुपए आ रहा है। यदि वे बिल की राशि जमा करते हैं तो घर में पेट भरने के लाले पड़ जाएंगे। अधिकारियों ने भी इन गरीबों की समस्या सुनी और निराकरण के लिए आवेदन विद्युत कंपनी की ओर बढ़ा दिया। हालांकि गरीबों की गुहार कुछ राहत दे पाएगी या हजारों रुपए की बकाया राशि जुडऩे के साथ भारी बिलों के आने का दौर जारी रहते हुए एक दिन बिजली कनेक्शन ही कट जाएगा, कहना मुश्किल है।
पहले दो हजार फिर 2600 का बिल आया
मेंडिया निवासी मोहनलाल मजदूरी कर जैसे-तैसे रोज के 150-200 रुपए कमा पाते हैं, इस पर भी रोज काम मिले जरूरी नहीं है। कुछ महीने पहले तक उनका बिजली बिल 100-200 रुपए आता था लेकिन पिछले महीने 2 हजार 200 रुपए का बिल मिला। बिल देखकर ही वे घबरा गए कि छोटे से मकान में इतनी बिजली कैसे खप गई। बिल की इतनी बड़़ी राशि जमा करने का दम नहीं जुटा सके। अगला महीने का बिल उनके लिए और भी बड़ी चिंता लेकर आया। पिछले महीने के 2 हजार 200 बकाया और इस बार 2600 रुपए का बिल। अब उन्हें घर में रोशनी बचाने के लिए कुल 4 हजार 806 रुपए देना होंगे लेकिन सवाल वही है कि इतना रुपया आएगा कहां से।
काम छोड़, बीमार पति और दो मासूम के साथ आना पड़ा
बिजली बिल के झटके ने विपरित परिस्थितियों के बावजूद एक परिवार को गुहार लगाने अधिकारियों के पास आने के लिए मजबूर कर दिया। गंगानगर निवासी सीताराम सोलंकी का आठ महीने पहले ही हार्ट ऑपरेशन हुआ है इसलिए फिलहाल वे कोई काम नहीं करते हैं। पत्नी रीना बाई कुछ काम कर तीन हजार रुपए महीना तक कमा पाती है। बीमार पति के साथ ही दो छोटे बेटों की जिम्मेदारी भी है लेकिन हर महीने बिजली का बिल बढ़कर ही आ रहा है। कुछ महीनों से वे बिल की राशि जमा नहीं कर पाए जो बढ़ते हुए 2 हजार 400 रुपए से अधिक बकाया हो चुका है। इस बार फिर उन्हें 933 रुपए का बिल मिला है। संयुक्त परिवार में रहने वाले सिताराम कैसे इतनी राशि जमा करें, उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।