योग केंद्र का शुभारंभ किया
आनंदीबेन पटेल ने देवास रोड स्थित महर्षि पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित महर्षि पतंजलि छात्रावास एवं संस्कृत शिक्षण-प्रशिक्षण, ज्ञान-विज्ञान संवद्र्धन-योग केन्द्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के बटुक एक दिन महान राजनीतिज्ञ चाणक्य बनकर राष्ट्र को नई दिशा देंगे। कोई बटुक विक्रमादित्य जैसा पराक्रमी तथा न्यायप्रिय सम्राट बनेगा तो कोई विज्ञान का जन्मदाता कणाद बनकर नई संभावनाओं को जन्म देगा। कालिदास, माघ, पाणिनी तथा पतंजलि भी यहां तैयार होंगे। यह सौभाग्य का विषय है कि यहां के विद्यार्थियों को स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
विश्वविद्यालय को गौरव प्रदान किया
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आज यहां विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा प्राप्त करने वाले बेटे-बेटियों ने मिलकर 1111 पौधे रोपकर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाकर विश्वविद्यालय को गौरव प्रदान किया है। यह देशवासियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है। उन्होंने सबको इस अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ, संतुलित तथा स्वस्थ बनाए रखने की दिशा में ऐसे प्रयास निरन्तर होते रहने चाहिये। विश्व की सबसे भयावह समस्या पर्यावरण प्रदूषण के रूप में हम सबको भयभीत कर रही है। भौतिकवाद की अंधी दौड़ में हम सब प्रकृति का अंधाधुंध उपयोग कर रहे हैं। इसे हमें रोकना होगा और इसे रोकने के लिये व्यक्ति में वैचारिक परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महाकवि कालिदास ने शकुंतला नाटक में वर्णन किया है कि शकुंतला की सखी अनुसुइया शकुंतला को कहती है कि “लगता है कि तेरे पिता को तुझसे ज्यादा प्यार इन पौधों में है, इसलिये उन्होंने तुम्हारी कोमलता को नजरंदाज कर इन्हें सींचने का काम दे रखा है। तब शकुंतला कहती हैं, नहीं सखी ऐसी बात नहीं है। असल बात यह है कि मैं स्वयं ही इन्हें सदा भाई मानकर इन पौधों से प्यार करती हूं। राज्यपाल ने कहा कि समूचे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रति रहने तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण करने का सन्देश सबसे पहले हमारे ऋषियों ने दिया है।
संस्कृत मां है और उसकी बेटी संस्कृति
राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि ऋग्वेद में स्पष्ट कहा गया है कि वनस्पतियों का रोपण करो, जिससे अधिकाधिक वनों का विस्तार हो सके। वहीं यजुर्वेद में जल को प्रदूषित नहीं करने, पेड़ों को नहीं काटने, प्राकृतिक पदार्थों का अंधाधुंध दोहन नहीं करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति संस्कृत के बिना संभव नहीं है। इसमें मां-बेटी का सम्बन्ध है। संस्कृत मां है और उसकी बेटी संस्कृति है। हमें सिर्फ वृक्षारोपण ही नहीं करना है। हमारा सबसे बड़ा कतज़्व्य रोपे गये पौधों की सुरक्षा और संवद्र्धन करना है। जब तक पौधे अच्छी तरह बड़े न हो जाएं, तब तक हमें उनकी देखभाल करना चाहिए।
संस्कृत केवल मातृभाषा ही नहीं, एक विचार भी है
राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत केवल मातृभाषा ही नहीं है, एक विचार भी है। संस्कृत एक संस्कृति है, संस्कार है, सभ्यता भी है और वह आचार संहिता भी है। विश्व का सबसे उत्कृष्ट ज्ञान और विज्ञान है। संस्कृत सबका मूल है। इनको नजरअंदाज कर विकास की बात करना बेमानी होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शान्ति, सहयोग, वसुधैव कुटुंबकम की भावना है। आज संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने की अत्यधिक आवश्यकता है। इसकी उपेक्षा से बड़ी हानि हो रही है। देश के प्रधानमंत्री ने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया है। इसके साथ हमें व्यक्तित्व विकास पर जोर देना होगा। प्रधानमंत्री के कौशल विकास, मुद्रा भारत योजना, स्टाटज़्अप जैसी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही हमें आध्यात्मिक विकास को भी महत्व देना होगा।
संस्कृत भारत को एकता के सूत्र में बांधती है
राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद नहीं, बल्कि महर्षि पाणिनी, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में प्रयोग किया है। यही इस भाषा का रहस्य है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का नाम भी महर्षि पाणिनी के नाम पर रखा गया है। इस विश्वविद्यालय से निकलने वाले विद्यार्थी संस्कारी और संस्कृत के महापंडित बनकर निकलेंगे। राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। इसमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान और साहित्य का खजाना है। संस्कृत पढऩे से स्मरण शक्ति बढ़ती है। संस्कृत विश्व की सर्वाधिक पूर्ण भाषा है। उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं और कन्याओं के साथ जो घटनाएं घट रही हैं, उसका कारण युवाओं में संस्कृति का ज्ञान नहीं होना है। इस कारण वह संस्कारवान नहीं बन पाते हैं। देश के हर नागरिक को संस्कृत भाषा का ज्ञान होना चाहिए।
सौर ऊर्जा का प्लांट लगाया जाए
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति से कहा कि विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा का प्लांट लगाया जाये। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री का कहना है कि सौर ऊर्जा क्षमता में वृद्धि का लाभ किसानों और आम लोगों तक पहुंचाना चाहिये। विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएं और उसमें छात्राओं के स्वास्थ्य जांच पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। टीबी पीडि़त बच्चों की जांच कराई जाये। यही नहीं आसपास के टीबी पीडि़त बच्चों को गोद लेने के लिये लोगों को प्रेरित किया जाये। उन्होंने अपने उद्बोधन के पहले कहा कि महर्षि पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र संस्कृत विश्वविद्यालय है। उन्होंने इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर कहा कि वे संस्कृत के महान पंडित भी थे।
इन्होंने दिया स्वागत उद्बोधन
कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत भाषण विश्वविद्यालय के डॉ. मनमोहन उपाध्याय ने दिया और कुलपति प्रो. रमेशचंद्र पांडा ने विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों ने कात्यायन शुल्बसूत्र, व्यक्तित्व का मनोविज्ञान एवं दर्शन आदि नाम की पुस्तकों का विमोचन किया। राज्यपाल ने संस्कृत विश्वविद्यालय की मीनाक्षी सेन को एमपीपीएससी में संस्कृत में सहायक अध्यापक का चयन होने पर सम्मानित किया। वहीं विश्वविद्यालय के एवं संबद्धता वाले महाविद्यालयों के संस्कृत में प्रथम आने पर छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
राज्यपाल ने रोपा रूद्राक्ष का पौधा
शुरूआत में राज्यपाल ने रूद्राक्ष का पौधा रोपा, वहीं अन्य अतिथियों और सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने विद्यालय परिसर और विद्यालय के समीप की पहाड़ी पर एकसाथ पौधारोपण किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने सबसे कहा कि वे एकसाथ पौधे रोपे और सभी ने मिलकर कुल 1111 पौधों का रोपण किया। आभार विश्वविद्यालय के कुलसचिव मनोज कुमार तिवारी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर वन विभाग के सीसीएफ बीएस अन्नीगिरी, वन मण्डलाधिकारी एमआर बघेल सहित विद्वतजन, बटुक, छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे।