18 से 35 साल के युवाओं द्वारा बनाई गई ये संस्था
18 से 35 साल के युवाओं द्वारा बनाई गई ये संस्था नि:स्वार्थ भाव से इस सेवा अभियान में जुटी है। बस जहां से कहीं सूचना मिली और मरीज जरूरतमंद लगा ये ब्लड डोनेट कराने में देर नहीं लगाते। संस्था संस्थापक अध्यक्ष दर्शन ठाकुर के अनुसार चार साल पहले अखबार में छपी खबर के बाद से इस काम में तन्मयता से जुटने का मन हुआ। तब एक दुर्घटनाग्रस्त बालक की खून नहीं मिलने के चलते मृत्यु हो गई थी। बस तब से भी संस्था ने ठाना कि किसी घर का चिराग या किसी की जिंदगी इस कारण ना चली जाए। तब से ही युवाओं को जोड़ा और अब 120 सक्रिय रक्तदाता संस्था के पास मौजूद हैं। वहीं 500 से अधिक लोग सूचीबद्ध हैं। जो जरूरत लगने पर डोनेट को तैयार रहते हैं।
स्टूडेंट्स से लेकर पुलिसवाले तक हैं मैंबर
संस्था के सक्रिय रक्तदाताओं की लिस्ट में स्टूडेंट, व्यापारी, अभिभाषक, किसान से लेकर पुलिसवाले तक शामिल हैं। जिसको भी जहां से सूचना लगती है वे वाट्सएप ग्रुप में शेयर करते हैं और संबंधित रक्त ग्रुप वाले से संपर्क कर डोनेशन कराया जाता है। कई बार जब ब्लड बैंकों में उपलब्धता होती है तो अन्य ग्रुप का ब्लड भी वहां डोनेट कर दिया जाता है।
खुद के खर्च से इंदौर तक रक्तदान
संस्था के युवाओं का जुनून काबिले तारीफ है। उज्जैन के अलावा यदि कहीं से इंदौर के अस्पताल में ब्लड की जरूरत का संदेश मिलता है तो युवा बाइक पर खुद के ही खर्च से वहां चले जाते हैं। अब तक 18 बार एेसा हुआ है। जब युवाओं ने इंदौर जाकर वहां किसी अनजाने को ब्लड दिया। बारिश में भी इस काम को पूरा करने से ये नहीं चूके।
सोशल मीडिया बना मजबूत सहारा
संस्था पदाधिकारियों के अनुसार सोशल मीडिया भी इस क्षेत्र में काम करने के लिए मजबूत सहारा बना है। कई बार यदि कोई ब्लड ग्रुप मिलने में दिक्कत होती है तो संस्था के फेसबुक पेज, वाट्सएाप ग्रुप व अन्य माध्यमों से संदेश प्रचारित किया जाता है। जिसमें मरीज के अटेंडर का नंबर भी रहता है। इसके जरीए भी कई लोगों की जरूरत पूरी हो जाती है। हालांकि इस तरह के संदेश कई अन्य संस्थाओं व सामाजिक लोगों द्वारा भी चलाए जाते हैं।