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उमरिया

गांव-गांव जाकर मतदाताओं को जगा रहे सामुदायिक कार्यकर्ता

कोई मतदाता छूट न जाए अभियान अन्तर्गत जारी है मुहिम

उमरियाApr 23, 2019 / 10:49 pm

ayazuddin siddiqui

Community activists awaiting voters going to village village

गांव-गांव जाकर मतदाताओं को जगा रहे सामुदायिक कार्यकर्ता

उमरिया. कोई मतदाता छूट न जाये अभियान के तहत समुदाहिक कार्यकर्ता लोकसभा निर्वाचन 2019 में वोट डालने के लिए गांव गांव जाकर मतदाताओं को जगाने के काम में लगे हैं। जनसंगठनों के इस साझा प्रयास में एकता परिषद ए मध्यप्रदेश सर्वोदय मंडल, राष्ट्रीय युवा संगठन, जेनिथ यूथ फाउंडेशन, दस्तक परियोजना, आशा आदि संस्था संगठन सक्रिय रूप से जुडे हैं। अभियान का संयोजन कर सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि इस अभियान को साहित्यकारों ए कलाकारों और बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त है । कोई मतदाता छूट न जाये राष्ट्रव्यापी अभियान है ए जिसका उद्देश्य है हर मतदाता पोलिंग बूथ तक जाए और बिना किसी भय या प्रलोभन के वोट डाले। शहडोल लोकसभा के 5 विधानसभा क्षेत्रों में यह अभियान सघन रूप से चलाया जा रहा है। बांधवगढ विधानसभा क्षेत्र में भूपेंद्र त्रिपाठी , बीरेंद्र गौतम , अजमत उल्ला खान, भागीरथी बैगा, भारत बैगा, कोमल त्रिपाठी , भगवती सिंह और रेखा सिंह तो मानपुर विधानसभा क्षेत्र में संदीप बैगाए तरन्नुम खान, भागवत पटेल, फूलचंद बैगा आदि कार्यकर्ता सक्रिय रूप से अभियान को चला रहे हैं।
पानी और रोजगार हैं अहम मुद्दे
आकाशकोट में पीने का पानी और रोजगार अहम मुद्दे हैं तो मानपुर क्षेत्र में जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा और वनाधिकार के मुद्दे प्रमुख रूप से उठ रहे हैं । सामुदायिक बैठकों में लोग इन मुद्दों पर आवाज बुलंद करते हुए प्रचार के लिए गांव आने वाले प्रतिनिधियों से सवाल कर रहे हैं कि वे उनके लिए क्या करने वाले हैं। अभी तक 100 से ज्यादा गांवों तक या अभियान पहुंच चुका है। लोकसभा क्वार्डिनेटर द्विवेदी ने बताया अभियान की मंशा 28 अप्रैल तक लगभग 300 गांवों तक पहुंचने की है।
स्थानीय मुद्दों पर होगा वोट
कोई मतदाता छूट न जाये अभियान के तहत मतदाता खुल कर अपनी बात रखते हैं। अभियान की कोशिश है कि मतदाता भावनात्मक मुद्दों में उलझने की बजाय अपने मुद्दों पर चर्चा केंद्रित करें और उनपर काम करने वाले उम्मीदवार को वोट दें। सामुदायिक बैठकों में पानी नही तो वोट नही ए रोजगार नही तो वोट नही के नारे भी गूँज रहे हैं। मतदाता राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें जाति धर्म और क्षेत्र की राजनीति में उलझाने की कोशिश को नाकाम करने की ओर अग्रसर हैं।

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