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उमरिया

वन्यजीवों का सुकून छीन रहे रेत कारोबारी, बांधवगढ़ के बफर में दिन-रात मचा रहे तांडव

बड़ी-बड़ी मशीनों से उत्खनन, प्रतिदिन निकल रहे 150-200 हाइवारात भर चलता है कारोबार, दिन में धीमी हो जाती है रफ्तारपनपथा बफर जोन के नजदीक नदी को छलनी कर रहे कारोबारी

उमरियाJun 13, 2021 / 11:55 pm

ayazuddin siddiqui

Sand traders snatching the peace of wildlife, orgy day and night in the buffer of Bandhavgarh

Sand traders snatching the peace of wildlife, orgy day and night in the buffer of Bandhavgarh

उमरिया. राजस्व सीमा के साथ ही रेत कारोबारियों ने वन क्षेत्र में भी अपनी धाक जमानी शुरू कर दी है। कहने को तो बिना अनुमति जंगल से कोई एक लकड़ी का टुकड़ा भी नहीं उठा सकता। लेकिन यहां नेशनल पार्क की सीमा से बड़े स्तर पर रेत निकालकर बांधवगढ़ के ईको सिस्टम से खेल रहे हैं। जंगल की सीमा में रात भर धमाचौकड़ी करने वाले बड़े-बडे हाइवा यहां के जानवरों का सुकून छीन रहे हैं। इधर बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही प्रशासन, पुलिस और खनिज विभाग ने चुप्पी साध रखी है। जेब भरने के लिए रेत कारोबारी प्रकृति की धरोहर जंगल और नदी दोनो के ही अस्तित्व को संकट में डाल रहे हैं। इसमें राजनीतिक संरक्षण के साथ जिले के बड़े अधिकारियों ने भी गठजोड़ सामने आ रही है।
संकट में नदी, शाम होते ही धमाचौकड़ी
बांधवगढ़ नेशनल पार्क के बफर जोन अंतर्गत जाजागढ़ के नजदीक नदी का अस्तित्व संकट में है। रेत कारोबारी पूरी रात नदी में बड़ी-बड़ी मशीनें उतारकर रेत निकाल रहे हैं। जिसे हाइवा में लोड कर उमरिया के अलावा कटनी, सतना, मैहर, रीवा सहित अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है। दिन में रेत के इस कारोबार की रफ्तार जहां धीमी हो जाती है वहीं शाम होते ही भारी वाहनों की धमाचौकड़ी शुरू हो जाती है। माफिया द्वारा प्रतिदिन यहां से हाइवा रेत निकाली जा रही है। जिसे अलग-अलग जगह डम्प किया जा रहा है। जिससे कि बरसात के दिनों में कारोबार के लिए पर्याप्त स्टाक उपलब्ध रहे।
बांधवगढ़ की जैव विविधता से खिलवाड़
बांधवगढ टाईगर रिजर्व की जैव विविधता और अधिकाधिक बाघों की संख्या ने इसे वाइल्ड लाइफ प्रेमियों के बीच सिरमौर बना रखा है। बांधवगढ़ कि जैव विविधता मे अहम योगदान यहां बहने वाली नदियों का भी है। यह नदिया बांधवगढ़ नेशनल पार्क में स्वतंत्र विचरण करने वाले सैकड़ो प्रकार के वन्यजीवों के लिए जीवनदायनी है। ऐसे में रेत कारोबार न केवल बांधवगढ़ की जैवविविधता से खिलवाड़ कर रहे हैं बल्कि उन सैकड़ो प्रकार के जीवों के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं जो कि इस जीवन दायनी नदी के निर्मल जल से अपनी प्यास बुझाते हैं।
विरोध होते ही कुछ दिन बंद हो जाता है खनन
उमरिया बांधवगढ़ नेशनल पार्क के पनपथा बफर जोन के पेट्रोलिंग कैंप के बगल से बहने वाली नदी से रेत उत्खनन के कारोबार के तार आसपास के जिलों से जुड़े हैं। खनन माफिया बांधवगढ़ नेशनल पार्क की सीमा में भी सेंध लगाने से बाज नहीं आ रहा है। लंबे अर्से से रेत कारोबारी पनपथा बफर जोन के जंगल से बहने वाली नदी से रेत उत्खनन करा रहा है। जिससे न केवल नदी और जंगल के अस्तित्व को खतरा है बल्कि इससे ग्रामीणों को भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उमरिया और कटनी जिले की सीमा से लगे होने की वजह से पूरा संरक्षण मिल रहा है। जिसकी आड़ में वह पूरा कारोबार कर रहा है। जब कभी भी इसे लेकर विरोध के स्वर मुखर होते हैं तो कुछ दिन के लिए उत्खनन बंद कर दिया जाता है। मामला शांत होने के साथ ही रेत कारोबारी का तांडव फिर शुुर हो जाता है।
बाघ और अन्य वन्यजीवों का मूवमेंट
बांधवगढ़ के बफर जोन में मशीनों के दखल ने वन्यजीवों का सुकून छीन लिया है। दिन रात बडे-बड़े हाइवा वाहनों की धमाचौकड़ी और नदी में चलने वाली मशीनों की आवाज से वन्यजीव भी खतरे में है। बांधवगढ़ का बफर जोन होने की वजह से अक्सर इस क्षेत्र में बाघों के अलावा वन्यजीवों का मूवमेंट बना रहता है। पूरा दिन स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले वन्यजीवों की आजादी छिन गई है वहीं इनके शिकार के साथ दुर्घटना घटित होने के मामलों में भी इजाफा हुआ है।
इनका कहना है
अवैध खनन को लेकर लगातार सख्ती बरती जा रही है। अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं कि किसी भी स्थिति में नदियों के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। बफर जोन का मामला संज्ञान में नहीं है। खनन रोकने निर्देश देंगे। किसी भी स्थिति में बर्दास्त नहीं करेंगे।
राजीव शर्मा, संभागायुक्त शहडोल

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