योग से मिलती है शरीर एवं भावो को नियंत्रित करने की शक्ति
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर गांधी स्टेडियम में आयोजित हुआ कार्यक्रम
योग से मिलती है शरीर एवं भावो को नियंत्रित करने की शक्ति
उमरिया. प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर स्वस्थ सुखमय एवं शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना भारतीय संस्कृति की पहचान है। योग इस सामंजस्य को प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा है। अपनी आत्मशक्ति को पहचान कर परमशक्ति रूपी प्रकृति के साथ सुमेलित कर शांति एवं समस्त जगत की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता योग में है। आत्मशक्ति की पहचान के साथ योग व्यक्ति में वह क्षमता विकसित करता है कि वह प्रकृति की भाषा को समय समय पर उसके द्वारा दिए गए संदेशों एवं संकेतों को समझकर पहचानकर अपने आचरण को तदानुसार ढाल सके। उक्त बाते कलेक्टर स्वरोचिश सोमवंशी ने स्थानीय स्टेडियम ग्राउण्ड में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होने कहा कि योग के जनक महर्षि पतंजलि ने योग को चित्तवित्तियों के निरोध के रूप में परिभाषित किया है। आत्मसंयम एवं नियंत्रण के लिए मनुष्य का शारीरिक एवं मानसिक रूप से सशक्त होना आवश्यक है। इस शक्ति को प्राप्त करने हेतु महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग का मार्ग बताया है। योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि सभी में अनुशासन प्रमुख है। योग के माध्यम से अनुशासन जीवन शैली का अंग बन जाता है। यह अनुशासन हमें संयम, इंद्रियों में नियंत्रण, आंतरिक ऊर्जा को संवर्धित एवं एकत्रित कर सकारात्मक दिशा में प्रयोग करने की शक्ति देता है। अपने शरीर एवं भावों के नियंत्रण की शक्ति हमें योग से प्राप्त होती है। योग दिवस हमें हमारी प्राचीन धरोहर का पुन: स्मरण कराता है। इसे वरण कर हम भारत को पुन: विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सकते हैं। इस अवसर पर सहायक आयुक्त सहकारिता आनंद राय सिन्हां, डीईओ उमेश कुमार धुर्वे, उप संचालक कृषि आर के प्रजापति, महाविद्यालय प्राचार्य सीबी सोधियां, डा अभय पाण्डेय, सुशील मिश्रा, प्रदीप सिंह गहलोत, प्रीती गठरे, प्राचार्य प्रतिभा सिंह परिहार, व्ही के चौधरी, मोहन दुबे, महेश गुप्ता, पीटीएस के नौजवान, गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। इसके बाद योग प्रशिक्षकों ने उपस्थित लोगों को चालन क्रियायें, योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया। योगासनों में ताड़ासन, वृक्षासन, पाद हस्तासन, अद्र्ध चक्रासन, त्रिकोणासन, दंडासन, भद्रासन, वज्रासन, अद्र्ध उष्ट्रासन, शशकासन, उत्थान मंडूकासन, वक्रासन, मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, सेतुबंधासन, उत्थान पादासन, अद्र्धहलासन, पवन मुक्तासन, शवासन का अभ्यास कराया गया। इसके बाद कपालभाती, अनुलोम- विलोम, शीतली और भ्रामरी प्राणायाम कराया गया। फिर ध्यान, संकल्प एवं शांतिपाठ किया गया। कार्यक्रम में योग करने के लाभ बताये गये।
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