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अर्थव्‍यवस्‍था

8,500 खत बापू के, होंगे प्रकाशित

खतों को भूल चुके हैं हम लोग और आज के जमाने में चंद
लोग ही हैं जो खत भी लिखते हैं। लेकिन किसी समय में खत ही एक मात्र जरीया
था किसी तक अपनी बात पहुंचाने का, जरा सोचिए आपको बापू के जमाने के खत मिल
जाए जो लोगों ने उन्हें लिखे थे।

Nov 30, 2015 / 03:30 pm

खतों को भूल चुके हैं हम लोग और आज के जमाने में चंद लोग ही हैं जो खत भी लिखते हैं। लेकिन किसी समय में खत ही एक मात्र जरीया था किसी तक अपनी बात पहुंचाने का, जरा सोचिए आपको बापू के जमाने के खत मिल जाए जो लोगों ने उन्हें लिखे थे।

जी हां। अपने समय की महान हस्तियों के साथ महात्मा गांधी के विचारों को बांटती ये चिठ्ठियां साबरमती आश्रम प्रकाशित करने जा रहा है।
m k. gandhi
इन खतों की कुल संख्या 8,500 है, जो बापू को लोगों ने लिखे हैं। आपको बता दें कि क्लेक्टेड वर्क्‍स ऑफ महात्मा गांधी (सीडब्ल्यूएमजी) के पास गांधी जी द्वारा लिखे उनके जीवनकाल में लिखे गए 31,000 से अधिक खतों का दस्तावेजीकरण है लेकिन जिन खतों के जवाब में ये खत लिखे गए थे, उनका दस्तावेजीकरण अभी तक नहीं हो सका है।

इस बारे में बताते हुए साबरमती आश्रम संरक्षण एवं स्मृति न्यास के निदेशक त्रिदिप शारूद ने बताया कि शोधकर्ता और विद्वान लंबे समय से गांधीजी को मिले खतों और अन्य स्वरूपों में मिले संवाद को टाइप करने और प्रकाशित करने की आवश्यकता महसूस कर रहे थे ताकि उनके द्वारा दिए जबावों को अच्छे तरीके से समझा जा सके या फिर यह समझा जा सके कि क्या यह एक पक्षीय संचार है।

गांधीजी को मिले खतों के प्रकाशन के जरिए गांधीजी और उस समय के महान हस्तियों रोमां रोलां, रवीन्द्रनाथ टैगोर, जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, मेडेलीन स्लेड (मीराबेन) और एस्थर फाइरिंग के बीच हुई बातचीत को सामने लाएगा और इस तरह एक महान ऐतिहासिक मूल्य के दस्तावेजों का सृजन होगा।

आगे बताते हुए शारूद ने कहा कि सीडब्ल्यूएमजी ने 38 से अधिक वर्षों के दौरान बड़ी मेहनत से गांधीजी के भाषणों, संपादकीय और अन्य लेखनों को संग्रहित करके 100 संस्करणों वाला इलेक्ट्रानिक दस्तावेज तैयार किया है जिसमें 31,000 से अधिक खत, टेलीग्राम और केबल हैं जो गांधीजी ने दूसरों के लिए लिखे थे।
gandhi ji
उन्होंने बताया कि सीडब्ल्यूएमजी का संपादकीय प्रारूप गांधीजी को मिले और उनके द्वारा जबाव में लिखे गए खतों या संवाद के अन्य स्वरूपों के समावेश की अनुमति नहीं देता है। साबरमती आश्रम के अपने अभिलेखागार में गांधीजी को मिले 8,500 से अधिक खत और संवाद के अन्य प्रारूप रखे हैं। ये पत्र मुख्य रूप से अंग्रेजी, गुजराती और हिन्दी में हैं।

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