हल्के भूकंप से भी आ सकती है सुनामी
धरती के नीचे प्लेटों की धीमी गति से खिसकने की घटना का परिणाम भी भूकंप के समान होता है
न्यूयॉर्क। धीमी गति के भूकंप या धीमी रफ्तार से प्लेटों के खिसकने की घटना भी किसी बड़े भूकंप और सुनामी का कारण बन सकती हैं। धरती के नीचे प्लेटों की धीमी गति से खिसकने की घटना का परिणाम भी भूकंप के समान होता है, लेकिन धरती की दो प्लेटों के बीच तनाव पैदा करने की घटना कुछ सेकंड से लेकर दिन या सप्ताह तक चल सकती है, जिसके कारण प्लेटों के बीच एक सेंटीमीटर तक का खिसाव हो जाता है।
समुद्र के नीचे की सतह के दबाव को रिकॉर्ड करने वाले उच्च संवेदनशील रिकॉर्डर का इस्तेमाल कर अमरीका, जापान और न्यूजीलैंड के शोधकर्ताओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने न्यूजीलैंड के पूर्वी तट से दूर एक मामूली खिसाव का पता लगाया।
जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह लेखक योशिहिरो इतो ने कहा, हमारे परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि जहां प्लेटें खिसकती हैं वहां यह घटना भूकंप लाने या सुनामी पैदा करने में सक्षम हैं।
इतो ने कहा, इसने कम गहरे पानी और समुद्र तट से दूर समुद्र में चट्टानों के खिसकने की घटनाओं पर लगातार नजर रखने की हमारी जरूरत को बढ़ा दिया है। जैसा जापान के समुद्र तट से दूर निगरानी के लिए स्थाई नेटवर्क स्थापित किया गया है, उसी तरह जिन क्षेत्रों में धरती के नीचे की प्लेटें खिसक रही हैं, वहां नेटवर्क बनाने की जरूरी है।
दो हफ्तों के अंदर न्यूजीलैंड और प्रशांत महासागर से लगी प्लेटें 15-20 सेंटीमीटर खिसकीं। यह दूरी प्लेटों के तीन से चार साल के अंदर तय गई दूरी के बराबर है। यदि यह खिसकाव धीरे-धीरे नहीं होकर अचानक हुआ, होता तो इसकी वजह से 6.8 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता था।
इस दल ने धीमी खिसकाव की घटना का जहां अध्ययन किया है, वहां 1947 में 7.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया था और उसकी वजह से एक बड़ी सुनामी आई थी। इस अध्ययन का निष्कर्ष धरती की प्लेटों के खिसकाव और सामान्य भूकंप के बीच संबंध की समझ को बढ़ाता है। यह दिखाता है कि दो तरह की भूकंपीय घटनाएं किसी एक ही प्लेट की सीमा क्षेत्र में हो सकती हैं।
कुछ मामलों में तो इन हल्के खिसकावों का भी संबंध विनाशकारी भूकंप को उभारने से रहा है। जैसे वर्ष 2011 में जापान में आए 9 की तीव्रता वाले तोहोकु-ओकी भूकंप ने सुनामी पैदा की, जिसकी वजह से फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में तबाही हुई।
इस अध्ययन के सह लेखक कोलंबिया विश्वविद्यालय के लैमोंट-दोहटी अर्थ ऑबजर्वेटरी के स्पार वेब कहते हैं, हमारे न्यूजीलैंड के प्रयोग का परिणाम दर्शाता है कि सुनामी और भूकंप की पहले चेतावनी देने के लिए प्रशांत महासागर के पश्चिमोत्तर में जहां समुद्र तट से दूर पृथ्वी के नीचे की प्लेटें टकराती हैं, वहां निगरानी प्रणाली के इस्तेमाल करने की बहुत संभावना है।
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