वॉशिंगटन। अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान ने शनि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर बर्फ का एक रहस्यमय बादल देखा है और यह घटना टाइटन के वातावरण के बारे अब तक ज्ञात सभी तथ्यों के लिए एक चुनौती पेश करती है।
इस तरह का बादल पहली बार दशकों पहले नासा के वोयागर1 स्पेसक्राफ्ट द्वारा देखा गया था और यह एक बार फिर से दिखाई दिया है। आश्चर्य यह है कि यह बादल कुछ ऐसे कपाउंड्स से बना है जो शनि ग्रह के इस सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन के वातावरण में मुश्किल से ही मिलते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों के आगे यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर यह बादल आए कहां से?
हमारी सोच से परे है यह बादल
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में सीआईआरएस के लीड रिसर्चर कैरी एंडरसन का कहना है कि बर्फ के इन बादलों का प्रकट होना उस हर चीज से बिलकुल अलग है जो अभी तक हम टाइटन के बारे में जानते थे। टाइटन के समतापीय मंडल में मौजूद यह बादल डी.साइनोएसिटिलीन (सी4एन2) गैस से बना है। सी4एन2 कार्बन और नाइट्रोजन का मिश्रण है जो विशाल टाइटन का अस्पष्ट भूरे..नारंगी रंग का वातावरण तैयार करता है।
आखिर कैसे बने बादल
नासा ने कहा कि इस बादल को देखने के बाद वैज्ञानिक इस बात से परेशान हैं कि बादल को संघनित होने के लिए डी.साइनोएसिटिलीन गैस के एक फीसदी से भी कम हिस्से की जरूरत है। कैसिनी के कम्पोजिट इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर या सीआईआरएस का उपयोग कर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि हिमीकृत हो चुके कुछ रसायन से एक विशाल बादल बना है।
साधारण भाषा में कहें तो थर्मोडायनेमिक्स के हमारे वर्तमान ज्ञान के अनुसार टाइटन के वातावरण में इतना सी4एन2 है ही नहीं कि उसकी मदद से यह बादल बनाया जा सके।
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