यह भी पढें Rajasthan: Gehlot’s reaction to OSD’s allegations revealed, know what he said – मध्य रात्रि तक 30 से अधिक डंपर निकाले आनासागर झील को जलकुंभी मुक्त करने के लिए गुरुवार से नई डीविडिंग मशीन ने काम करना शुरू कर दिया। रामप्रसाद घाट से जलकुंभी निकालने का सिलसिला शुरू किया गया लेकिन हवा के रुख से जलकुंभी देर शाम तक पुरानी चौपाटी के किनारे जा लगी। इसके बाद मशीन को जेट्टी के पास खड़ा किया गया। निगम प्रशासन ने पहले दिन नई मशीन से 30 से अधिक डंपर जलकुंभी निकाला जाना बताया।
पुरानी मशीन हुई बेदम पुरानी डीविडिंग मशीन दो दिन से खड़ी है जिसकी मरम्मत में वक्त लग सकता है। यदि दोनों मशीनें एक साथ काम करती तो जलकुंभी की जल्द सफाई हो सकेगी।
मछलियों को होने लगी परेशानी झील में पिछले काफी समय से मछली पालन बंद है। जलकुंभी के चलते यहां पानी में ऑक्सीजन कम होने से मछलियां छिछले पानी की ओर नजर आ रही हैं। अब मशीन चलने से मछलियां व जलीय जीव भी इधर उधर हो रहे हैं।
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फोटो-मच्छरजनित बीमारियों के प्रति किया जागरूक
-मलेरिया दिवस पर कार्यशाला का आयोजन मलेरिया दिवस पर गुरुवार को स्वास्थ्य संकुल में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ज्योत्स्ना रंगा ने चिकित्साकर्मी/आशा सहयोगिनी एवं नर्सिंग स्टूडेंट को मलेरिया व अन्य मच्छरजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता एवं मच्छरो के प्रकोप से बचाव व सुरक्षा का संदेश दिया गया।संयुक्त निदेशक डॉ. सम्पत सिंह जोधा ने मच्छलियो के द्वारा मलेरिया बायोलोजिकल नियंत्रण के बारे में बताया कि गप्पी व गम्बूषिया मच्छलिया प्राकृतिक रूप से लार्वा को खाती है तथा तालाब व झीलों तथा मानव निर्मित हैचरी में इनका संवर्धन किया जा सकता है।
कार्यालय में स्थित हैचरी का निरीक्षण उच्चाधिकारियों की ओर से किया गया। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शिन्दे स्वाति अजमेर ने बताया कि मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनोफिलिज के काटने के कारण होता है। यह रोग रोकथाम एवं इलाज योग्य है। उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामस्वरूप किराड़िया ने बताया कि जिले में वर्तमान में मलेरिया रोग के हालात पूर्णतः नियंत्रण में है। एपीडिमियोलोजिस्ट मुकेश खोरवाल, जिला वीबीडी सलाहकार रितु सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।