इंडियन नेशनल कांग्रेस ने जीत शुरुआत की 1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विशंभर दयाल त्रिपाठी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस से जीत हासिल की थी। 1957 में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल की। उनके निधन के बाद हुए 1960 के उपचुनाव में लीलाधर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1962 व 67 में कांग्रेस के कृष्ण देव त्रिपाठी जीत हासिल की। 1971 में कांग्रेस के जियाउर रहमान अंसारी ने जीत हासिल की। 1977 के चुनाव में कांग्रेस को झटका लगा और जनता पार्टी के राघवेंद्र सिंह ने जीत हासिल कर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन 1980 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी और जियाउर रहमान अंसारी ने वापसी करते हुए जीत हासिल की। 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। 1989 के चुनाव में जनता जल के अनवार अहमद ने लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।
तीन बार भारतीय जनता पार्टी के पास परंतु इसके बाद लगातार तीन बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवी बक्स सिंह ने 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीत हासिल की। 1999 के बाद क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उपस्थिति का एहसास कराया और 1999 में हुए लोकसभा के चुनाव में दीपक कुमार समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बृजेश पाठक ने 2004 में जीत हासिल की। लंबे समय तक जनपद की राजनीति दूर रहने वाली कांग्रेस को जनता ने एक बार फिर मौका दिया और अन्नू टंडन के द्वारा किए गए जनसंपर्क व संस्था के माध्यम से किए गए कार्य का परिणाम सामने आया। अन्नू टंडन ने 2009 के चुनाव में भारी अंतर से जीत हासिल की। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। लेकिन मोदी लहर में अन्नू टंडन अपनी सीट बरकरार नहीं रख सकी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा के साक्षी महाराज ने जीत हासिल कर एक बार फिर बता दिया यहां पर बाहरी प्रत्याशियों का भी वजूद मजबूत है।