scriptहादसे में चार बहनों ने अपने इकलौते बड़े भाई, तो माता-पिता ने एकमात्र कमाऊ पुत्र खोया, 4 माह बाद भी नहीं सूखे आंसू | Guru gram accident - This family lost everything. | Patrika News
उन्नाव

हादसे में चार बहनों ने अपने इकलौते बड़े भाई, तो माता-पिता ने एकमात्र कमाऊ पुत्र खोया, 4 माह बाद भी नहीं सूखे आंसू

– 13 जून को तेज रफ्तार डस्टर कार की टक्कर से हुई थी पुती सिंह की मौत
– 4 माह बाद भी सिक्योरिटी एजेंसी पैरग्राइन और ना ही फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से मिली आर्थिक मदद
– खुले में शौच से मुक्त गांव का ढिंढोरा पीटने वाली जिला प्रशासन ने भी नहीं दिया शौचालय

उन्नावSep 25, 2019 / 06:32 pm

Narendra Awasthi

हादसे में चार बहनों ने अपने इकलौते बड़े भाई, तो माता-पिता ने एकमात्र कमाऊ पुत्र खोया, 4 माह बाद भी नहीं सूखे आंसू

हादसे में चार बहनों ने अपने इकलौते बड़े भाई, तो माता-पिता ने एकमात्र कमाऊ पुत्र खोया, 4 माह बाद भी नहीं सूखे आंसू

उन्नाव. सफीपुर कोतवाली क्षेत्र के मुबारकपुर का रहने वाले शिव सिंह का परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। गुरुग्राम में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर कार्य करने वाले उनका एकमात्र कमाऊ सदस्य पुत्र पुती सिंह तेज रफ्तार डस्टर कार की टक्कर से हमेशा के लिए आंखें मूंद ली। 13 जून 2019 को हुई इस घटना की जानकारी जैसे ही परिवारी जनों को मिली घर में कोहराम मच गया। मृतक पुती सिंह के कंधे पर परिवार में माता-पिता के साथ दादी व चार बहनों का भार था। 13 जून की देर रात मिली जानकारी के बाद से आज तक परिवार उस गम से बाहर नहीं निकल पाया। परिवार के पास पुती सिंह के अतिरिक्त कोई सदस्य ऐसा नहीं जो घर का खर्च चला सके। पिता के पास भी लगभग 8 बिस्वा जमीन है। जिससे परिवार का गुजर-बसर करना काफी कठिन है। ऐसे में मृतक पुती सिंह की छोटी बहन ने 19 साल की उम्र में परिवार की जिम्मेदारी उठाने को कदम घर से बाहर निकाल, प्राइवेट स्कूल में ₹2000 की नौकरी करने लगी। जिससे उसके परिवार का भरण पोषण हो सके। आज मृतक पूती सिंह का परिवार संघर्षों के दौर से गुजर रहा है।

 

मृतक पुती सिंह की छोटी बहन विवाहिता सुधा सिंह ने बताया कि

भैया के जाने के बाद सारी जिम्मेदारी छोटी बहन स्वाति सिंह पर आ गई है। भैया ने कभी किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दी। हमेशा उन लोगों की इच्छाओं को पूरा करते थे। अपने लिए कभी कुछ नहीं लाते थे उनके कपड़े भी हम बहने ही खरीद कर देती थी। उनकी शादी हो चुकी है। अब परिवार की सारी जिम्मेदारी छोटी बहन स्वाति सिंह पर आ गई है। जो प्राइवेट स्कूल में पढ़ा कर परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है। बातचीत के दौरान कई बार बहनों और माता की आंखों में आंसू आ गए। जवान मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। ऐसे में बिना कहे आंखों के बहते आंसू बहुत कुछ कह गए।

 

घर में सबसे छोटी तनु सिंह ने बताया कि

भैया उनकी पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित थे। कहते थे, अच्छे नंबरों से पास हो जाओ टच मोबाइल खरीद कर दे देंगे। बहुत प्यार करते थे कहते-कहते आंखों में आंसू आ गए…। तनु सिंह घर में सबसे छोटी और अपने भैया की दुलारी भी। बात-बात पर उसकी आंखों से आंसू निकल आते थे। उन्होंने कहा कि चालान से बड़ी जिंदगी है। सरकार को चालान से ज्यादा जिंदगी बचाने का प्रयास करना चाहिए। मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए।

 

ना तो सिक्योरिटी एजेंसी पैरग्राइन और ना ही फैक्ट्री प्रबंधन ने कोई आर्थिक मदद दी

गुरुग्राम में हुए सड़क हादसे मैं परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य के हमेशा के लिए जाने के बाद हुए नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है लेकिन आर्थिक मदद से परिवार की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है 4 महीने बीतने के बाद भी ना तो फैक्ट्री प्रबंधन की तरफ से कोई मदद मिली और ना ही सिक्योरिटी गार्ड एजेंसी पैरग्राइन की तरफ से परिवार वालों को आर्थिक मदद मिली है।

 

परिवार को अभी शौचालय भी नसीब नहीं हुआ

यहां तक कि मोदी और योगी की महत्वाकांक्षी योजना खुले में शौच से मुक्त करने की योजना का लाभ भी इन्हें नहीं मिला। इन्हें शौचालय से लाभान्वित अभी तक नहीं किया गया। इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी से पत्रिका संवाददाता बातचीत कर जानकारी थी तो उन्होंने कहा अति शीघ्र इन्हें शौचालय मिल जाएगा। शासन की तरफ से परिवार के कमाऊ सदस्य की मौत पर आर्थिक मदद देने की भी योजनाएं हैं। जिनका भी लाभ अभी तक इन्हें नहीं मिला है। इसके लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को नीरस, उदासीनता, लापरवाही, बेपरवाह, भ्रष्ट आदि चाहे जितने शब्दों से नवाजा जाए कम है।

 

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