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उन्नाव

पितृ पक्ष में विशेष – कैसे करें अपने पितरों को खुश, गया धाम यात्रा के दौरान बरतें सावधानियां

पितर अपने पुत्र-पोत्रादि से पिंड दान व तर्पण की रखते हैं आकांक्षा, होते हैं प्रसन्न देते हैं आशीर्वाद, रेल मार्ग सबसे उत्तम, बस संचालक पंडा और पिंडदान करने वालों के बीच करते हैं दलाली, डॉ गोपी किशन तिवारी ने दी पूरी जानकारी

उन्नावSep 22, 2018 / 11:20 am

Narendra Awasthi

डॉ गोपी किशन तिवारी ने दी पूरी जानकारी

पितृ पक्ष में विशेष – कैसे करें अपने पितरों को खुश, गया धाम यात्रा के दौरान बरतें सावधानियां

उन्नाव. गया प्राप्तं सुतं दृष्टवा, पितृणाम उत्सवो भवेत। पिंडदान का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान गया धाम है। जहां मृत्त आत्मा या पूर्वज अपने पुत्र-पोत्रादि से पिंड दान तथा तर्पण की आकांक्षा रखते हैं। श्राद्ध आदि क्रियाओं से पितर को परम प्रसन्नता व संतुष्टि मिलती है। जिससे प्रसन्न होकर पितृ गण श्राद्ध कर्ता को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्राद्ध क्रिया का महत्व गया धाम में विशेष है। यहां पर एक से 17 दिन के बीच कई वेदियों में श्राद्ध संपन्न कराया जाता है। लेकिन इस पवित्र कार्य में भी बिचौलियों ने अपनी पकड़ बना ली है। जो बस यात्रा के दौरान सामने आते हैं। मोटी रकम लेकर गया धाम तीर्थ यात्रियों का शारीरिक व आर्थिक शोषण करते हैं। इस संबंध में बातचीत करने पर विभागाध्यक्ष प्राचार्य शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डॉक्टर गोपी कृष्ण तिवारी ने कहा कि गया धाम तीर्थ यात्रा पर जाने वाले सीधे बिना किसी माध्यम से जाएं। रेल मार्ग सबसे उत्तम साधन है। गया धाम के पंडा विधि विधान के साथ पिंड दान व गया श्राद्ध पद्धति के अनुसार कराते हैं और इसके लिए मामुली दान लेते हैं। परंतु बस के माध्यम से जाते हैं तो उनके ड्राइवर व बिचौलिए को देने की मजबूरी में यह रकम कई गुना हो जाती है।
 

मृत्यु के उपरांत पूर्वजों का श्राद्ध संस्कार अति आवश्यक

डॉ गोपी किशन तिवारी ने बताया कि पितृ पक्ष में मृत्यु के उपरांत विभिन्न योनियों में यात्रा कर रहे प्राणियों को देवता या मनुष्यत्व के रूप में लाने के लिए सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है। जिसमें मृत्यु के उपरांत का संस्कार अति आवश्यक है। पितृ आत्मा या पूर्वजों के श्राद्ध संस्कार करने वालों को इनका आशीर्वाद मिलता है। उनके व्यापार में समृद्धि एवं वैभव में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहती है।

मार्कंडेय पुराण याज्ञ स्मृति यम स्मृति श्राद्ध प्रकाश में उल्लेखित है-

आयु प्रजां धनं विद्यां, स्वर्ग मोक्षं सूखानि च। प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्ध तर्पिता।।
आयु: पुत्रान् यशः स्वर्ग, कीर्ति पुष्टिं बलं श्रियम्। पशून् सौख्यं धनं धान्यां प्राप्नुयात पितृपजनम्।।
कैसे करें पिंड दान व तर्पण

डॉक्टर गोपी कृष्ण तिवारी ने बताया कि श्राद्ध की तीन मुख्य विधियां होती हैं। जिनमें पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज शामिल है। दक्षिणा विमुख होकर आचमन कर अपने जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर चावल, गाय का दूध, घी, शक्कर एवं शहद को मिलाकर बने पिंडो को श्रद्धा भाव के साथ अपने पितरों को अर्पित करना पिंडदान कहलाता है। जल में काले तिल, जौं, कुशा एवं सफेद फूल मिलाकर उससे विधिपूर्वक तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि इससे पितृ तृप्त होते हैं । गया से वापस आकर गणेश पूजन, हवन, कन्या भोज, सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण भोज कराया जाता है। पुराणों के मुताबिक शास्त्रों में पितृ का स्थान अत्यंत ऊंचा बताया गया है। गया तीर्थ यात्रा संपन्न होने के बाद यथाशीघ्र श्रीमद् भागवत कथा, रामचरितमानस का पाठ, श्रीमद् देवी भागवत का पाठ, हवन एवं ब्राह्मण भोज, बंधु बांधव का भोज अपने सामर्थ्य के अनुसार कराना चाहिए।

पाखंडी भी आ गए हैं पिंडदान यात्रा मार्ग में

उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में कुछ पाखंड लोक प्रवेश कर गए हैं। जिनसे बचने की आवश्यकता है। कुछ बस एजेंट जो गया धाम तीर्थ यात्रा के लिए बड़े-बड़े प्रलोभन देकर अपने जाल में फांस लेते हैं। पिंडदानियों या गया धाम तीर्थ यात्रियों से मोटी रकम लेकर जाते हैं और वादा के मुताबिक सुविधा और साधन देने से मुकर जाते हैं। उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि बस एजेंट पंडा व आचार्य से 60 प्रतिशत तक का कमीशन लेते हैं। श्री तिवारी ने बताया कि गया जाने के लिए रेल मार्ग सबसे उत्तम रास्ता है। गया रेलवे स्टेशन सबसे सभी प्रमुख रेल स्टेशनों से जुड़ा है। दिल्ली हावड़ा मेन लाइन पर स्थित गया लगभग सभी गाड़ियां रूकती है। उन्होंने भारी-भरकम सामान ले जाने से बजरी की भी सलाह दी।

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