लखनऊ कानपुर राजधानी मार्ग पर स्थित नवाबगंज विकासखंड के गांव कुसुंभी में कुशहरी देवी माता का भव्य दरबार है। मंदिर के सामने पक्का तालाब स्थित है। मान्यता है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से मिलकर लव कुश अयोध्या से वापस परियर आ रहे थे। यहां पर दोनों ने विश्राम किया।
कुश को विश्राम के दौरान पास कुएं में उन्हें दिव्य शक्ति का एहसास हुआ। कुएं से मां दुर्गा की प्रतिमा मिली। लव कुश ने भक्ति भाव से मां दुर्गा की स्थापना पास स्थित टीले पर कर दी। उन्होंने पूजा-अर्चना भी की। जिसे कुशहरी देवी के नाम से जाना जाता है।
पुजारी ने बताया कि मंदिर में 12 महीने भक्तों की भीड़ बनी रहती है। नवरात्र के दिनों में हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर परिसर के अंदर आकर्षक शिवलिंग स्थापित है। हनुमान राधा कृष्ण सहित अन्य देवी देवता भी लोगों को दर्शन देते हैं। तलाब में बड़ी संख्या में मछलियां है जिन्हें आटा खिलाने की परंपरा है।
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पुरातत्व विभाग भी देख चुका है एक छत्रधारी लव कुश को
कुशहरी देवी मंदिर में स्थापित छत्र धारी घोड़े पर सवार लव कुश की मूर्ति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पर्यटन विभाग द्वारा कुशहरी देवी मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है। पुरातत्व विभाग भी कसौटी पत्थर से निर्मित एक छत्र धारी घोड़े पर सवार लव कुश को देख चुकी है।
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सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है कुशहरी देवी मंदिर
नवाबगंज विकासखंड के कुसुंबी गांव में स्थित कुशहरी देवी मंदिर के निकट कुसुंबी रेलवे स्टेशन है। जो लखनऊ कानपुर रेल मार्ग पर स्थित है। नवरात्र के पावन अवसर पर यहां पर ट्रेनों का ठहराव विशेष रूप से किया जाता है। लखनऊ कानपुर राजमार्ग से नवाबगंज होते हुए कुशहरी देवी मंदिर पहुंचा जा सकता है। नवाबगंज से तीन पहिया सवारी गाड़ी कुशहरी देवी मंदिर तक चलती है।