नर्सों ने इस संबंध में कई बार मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से बातचीत की। जिनके आश्वासन पर सभी सेवाप्रदाता द्वारा रखे गए कर्मचारी काम करते रहे। जिनकी अटेंडेंस मैनुअली लगातार हो रही थी। परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। शुरुआत से ही उन लोगों को वेतन नहीं मिला। वेतन मिलने के कारण कर्मचारी व उनके परिजन दाने-दाने को मोहताज हो गए। सूत्रों के अनुसार सेवा प्रदाता में कर्मचारियों को रखने के लिए जमकर रिश्वतखोरी हुई है।
CMS ने भी हाथ खड़े किए- वेतन के लिए आवाज बुलंद करने पर भी कोई समाधान नहीं निकला। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने भी किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था करने से मना कर दिया। आक्रोशित कर्मचारियों ने जिलाधिकारी व सदर विधायक को ज्ञापन देकर वेतन की मांग की है। इसके पूर्व स्टाफ नर्स के पद पर तैनात अपने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश शासन महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, परिधि एनर्जी एवं कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड को ज्ञापन दे चुके हैं।
अपने ज्ञापन में स्टाफ नर्स के लोगों ने बताया कि अवनी परिधि एनर्जी एंड एवं कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जिले में 29 लोगों को सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल में तैनाती की गई थी। उन्हें 20,300 रुपए प्रतिमाह के मानदेय पर रखा गया था। परंतु 6 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें फूटी कौड़ी नहीं मिली।
राजेश कुमार ने बताया कि विगत 9 फरवरी को इमरजेंसी कक्ष में उन लोगों की तैनाती हुई थी। तभी से परिवार वाले भुखमरी की कगार पर पहुंच गए। गोरखपुर की घटना का जिक्र करते हुए शोषित नर्सिंग स्टाफ ने बताया कि गोरखपुर में इसी प्रकार के मामले में एक कर्मी ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके उपरांत अधिकारियों की लापरवाही सामने आई थी। बाद में सभी का वेतन रिलीज किया गया। लेकिन जनपद में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को कुछ नहीं दिया गया। नर्सिंग स्टाफ का कहना था कि प्रशासन हमारी मौत का इंतजार कर रहा है। ज्ञापन देने वालों में पूनम भारती, सविता पाल, रिचा सिंह राठौड़, रविंद्र सिंह चौहान, अजय प्रताप सिंह, राजेश कुमार व अन्य लोग मौजूद थे।