सूदखोर साहूकारों से बचाने के लिए गठित की गई थी सहकारी समिति
किसानों को साहूकार के चंगुल से बचाने के लिए कृषि ऋण सहकारी समिति बनाई गई थी। इस कृषि ऋण सहकारी समिति लिमिटेड के कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार की अदूरदर्शिता के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि वह सहकारी समिति में दो दशक से अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से लगभग सभी कर्मचारियों को दो-तीन सालों से वेतन नहीं मिला है। इस संबंध में बातचीत करने पर समन्वय समिति के जिला अध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा कि सरकार कहती है कि किसानों को दिए गए लोन से वसले गए ब्याज का तीन प्रतिशत अपने वेतन के रूप में ले ले। कृषि लोन की वसूली के बाद ब्याज का 3 प्रतिशत इतनी रकम वसूल नहीं होती है कि जिससे समिति के सचिव, अकाउंटेंट और चपरासी की तनख्वाह निकल सके। उन्होंने बताया कि एक समिति में सचिव के अतिरिक्त अकाउंटेंट और एक चपरासी रहता है। जिसमें सचिव की तनखा 18077 रुपए है। जबकि अकाउंटेंट की ₹12000 और चपरासी की ₹6500 है। इतनी बड़ी रकम ब्याज से निकालना मुश्किल ही नहीं असंभव है।
समिति के सदस्य देश के अन्नदाता की सेवा में लगे
समिति के सदस्यों का कहना था कि सरकार ने सहकारी समिति का गठन किसानों की सुविधा के लिए, उन्हें सूदखोर साहूकार से बचाने के लिए किया था और वह लोग किसान के हित में काम करते हैं। समिति के कर्मचारी न्याय पंचायत स्तर पर देश के अन्नदाता किसानों की सेवा पूरी ईमानदारी से करते हैं और सहकारिता के मूल सिद्धांत से किसानों के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में सुधार को लाते हैं। परंतु समिति के कर्मचारी की स्वयं की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति काफी दयनीय है। जिसके कारण उन्हें हड़ताल पर जाने को विवश होना पड़ा। धरना स्थल पर 179 समितियों के सचिव, अकाउंटेंट सहित अन्य लोग मौजूद थे। जो सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। जिसमें प्रमुख रूप से सोमेश कुमार, राज कुमार गुप्ता, शिव प्रताप कुशवाहा, रमेश कुमार सहित सैकड़ों की संख्या समिति के कर्मचारी शामिल थे।