सात बार किया विधानसभा का प्रतिनिधित्व
बीघापुर तहसील क्षेत्र के सुमेरपुर विकासखंड के गांव झगरपुर निवासी भगवती सिंह विशारद का जन्म 30 सितंबर 1921 में हुआ था। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ देश की आजादी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1957 में पहली बार विधान सभा पहुंचे। 1957 में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से पहली जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने लगातार तीन बार 1967, 1969 और 1974 का चुनाव जीता था। 1977 में देवकीनंदन से हार के बाद एक बार फिर उन्होंने लगातार 1980 और 1985 का चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। देवकीनंदन के साथ इनकी चुनावी जंग होती थी। 1989 के चुनाव में देवकीनंदन ने उन्हें हराया। लेकिन 1991 का चुनाव एक बार फिर उन्होंने जीता।
विधायक होने के बाद भी किराए के मकान में कुछ नहीं करना निवास
सात बार के विधायक होने के बाद भी उनका सफर रोडवेज बसों में ही होता था और किराए के मकान में रहते थे। यही नहीं उन्होंने अपना शरीर भी दान दे दिया था। उनके निधन की खबर मिलते ही जनपद में शोक की लहर दौड़ गई। विगत सोमवार को लगभग 10:00 बजे अपने घर में अंतिम सांस लेने वाले भगवती सिंह विशारद का शव शाम को उनके गांव लाया गया। जहां अंतिम दर्शन करने वालों में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, पूर्व सांसद अन्नू टंडन, सदर विधायक पंकज गुप्ता, पूर्व विधायक उदय राज यादव, एमएलसी सुनील साजन सहित लोगों ने अपनी श्रद्धांजलि दी। देर रात तक उनके अंतिम दर्शनों का ताता लगा। आज उनके पार्थिव शरीर को परिवारी जन मेडिकल कॉलेज को देंगे। उन्नाव के गांधी कहे जाने वाले भगवती सिंह विशारद ने अपना नेत्रदान की कर दिया था। लेकिन उनका यह प्रण पूरा नहीं हुआ। भगवती सिंह विशारद अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। जिनमें बेटे के रूप में रघुवीर सिंह मीणा, दिनेश सिंह, रमेश सिंह, नरेश सिंह शामिल है।