पुलिस अधीक्षक पुष्पांजलि देवी की स्वयं की कार्यशैली तेज तर्रार अधिकारियों में थी। लेकिन अपने मातहतों को ईमानदारी के साथ
काम करने के लिए मजबूर नहीं कर पाई। इस बीच ऐसी कई घटनाएं हुई जो इतिहास के पन्नों में दफन हो गई और जिन का खुलासा हुआ उन पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लग रहा है। इस बीच भाजपा विधायक पर लगे दुष्कर्म के आरोपों के बाद चर्चा में आई पुष्पांजलि देवी की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठाई गई।
माखी थाना बनाता चर्चा का विषय पुलिस अधीक्षक के नाक के नीचे माखी थाना में कानून के खिलाफ ऐसे खेल खेले गए कि आज उक्त थाना देश में ही नहीं विदेशों में भी चर्चा का विषय बन चुका है। जहां पर क्षेत्राधिकारी सहित थाना अध्यक्ष भी कानून के विपरीत दबंगों की जी हजूरी करते देखे गए। जिसका खामियाजा भी निलंबन के रूप में उन्हें उठाना पड़ा। अधिकारियों के पीठ पीछे थाना में तमाम खेल होते रहे। यही नहीं थाना प्रभारी जिलाधिकारी के आदेश को भी धता बताते हुए अपनी मनमानी करते देखे गए। नवागत पुलिस अधीक्षक हरीश कुमार को भी भ्रष्ट थानाध्यक्षों के आचरण व कार्यप्रणाली से जूझना पड़ेगा।
उच्चाधिकारियों की हां में हां मिलाने वाले अधिकारी करते हैं मनमानी पुलिस अधीक्षक पुष्पांजलि देवी घटनास्थल पर पहुंचकर मत हाथों से काम लेने का प्रयास करती थी। लेकिन उनके अधीनस्थ मुंह में राम बगल में छुरी वाली कहावत के अनुसार कार्य करते थे। अपनी मनमानी के अनुसार थाना प्रभारी या विवेचनाधिकारी मामले की विवेचना करते थे। ऐसे में तमाम घटनाएं फाइलों में दफन हो गई। सदर कोतवाली क्षेत्र के मगरवारा चौकी अंतर्गत फैक्ट्री के अंदर एक युवती की लाश मिली थी। मौके पर हत्यारों के प्रयोग की हुई कई वस्तुएं मिली थी। जिसमें हेलमेट, कपड़े, चप्पल शामिल है।इनके बावजूद पुलिस घटना का खुलासा नहीं कर पाई। वही बारासगवर थाना क्षेत्र में लड़की को जिंदा जलाने का मामला हो। जिसमें भी पुलिस द्वारा किया गया खुलासा संदेहास्पद था।
कई खुलासों पर उठाई गई थी अगली
यह खुलासा उसी प्रकार हुआ था, जिस प्रकार मौरावा थाना क्षेत्र में एनआरआई के परिवार की नृशंस हत्या के मामले में हुआ था। थाना प्रभारी जिलाधिकारी के आदेश को भी तवज्जों नहीं देते हैं। मुंह पर हां हां करने के बाद पीठ पीछे वही करते हैं जो उन्हें करना होता है।
संपूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी रवि कुमार एनजी ने हसनगंज थाना प्रभारी व तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी को झोलाछाप डॉक्टर के दुकान में ताला लगाने का निर्देश दिया था। ताला तो लगा लेकिन शाम को फिर खुल गया। इस प्रकार के तमाम उदाहरण जिले में मौजूद है। अधीनस्थों के जवाबदेही के अभाव में मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों पर गाज गिरती है। जबकि देखा जाए तो जिले में मुख्यालय पर बैठे उच्च अधिका आम लोगों के बीच अपनी मौजूदगी का एहसास अवश्य करा रहे हैं। फिर चाहे वर्तमान जिलाधिकारी हो या फिर स्थांतरित कर दी जा चुकी पुलिस अधीक्षक पुष्पांजलि देवी।