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पूर्व DGP को बनाया वन भूमि कब्जाने का आरोपी, जांच में लग गए 12 साल

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किलें अब बढ़ने लगी हैं। आरक्षित वन क्षेत्र में नौ बीघा जमीन कब्जाने के मामले में 2013 में राजपुर थाने में दर्ज हुए मुकदमे में पूर्व डीजीपी को एसआईटी ने आरोपी बना लिया है। राज्य में ऐसा पहली बार होगा कि पुलिस अपने पूर्व मुखिया के खिलाफ कोर्ट […]

लखनऊApr 30, 2024 / 09:04 am

Naveen Bhatt

Former DGP of Uttarakhand Sidhu has been made an accused in the case of encroachment of reserve forest

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी सिद्धू को रिजर्व फॉरेस्ट कब्जाने के मामले में आरोपी बनाया गया है

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किलें अब बढ़ने लगी हैं। आरक्षित वन क्षेत्र में नौ बीघा जमीन कब्जाने के मामले में 2013 में राजपुर थाने में दर्ज हुए मुकदमे में पूर्व डीजीपी को एसआईटी ने आरोपी बना लिया है। राज्य में ऐसा पहली बार होगा कि पुलिस अपने पूर्व मुखिया के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट फाइल करेगी। बीएस सिद्धू पर उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमन के मुताबिक मामले की जांच काफी तेजी और गंभीरता से चल रही है। जो लगभग अंतिम चरण में है। जल्द ही जांच पूरी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मुखिया के सामने झुक गई थी पुलिस!

साल 2012 में सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिए गए। सिद्धू के पुलिस का मुखिया होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मामले के निस्तारण के लिए एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी में डीआईजी कानून व्यवस्था पी रेणुका देवी को अध्यक्ष बनाते हुए आईपीएस अफसर सर्वेश पंवार को जांच अधिकारी बनाया गया। अब मुकदमे की जांच में पूर्व डीजीपी सिद्धू समेत सात लोगों को आरोपी बना लिया गया है। इनके खिलाफ जल्द चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी।

पुलिस इतिहास की सबसे लंबी जांच

वन भूमि कब्जाने से जुड़े मुकदमे में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का नाम जोड़ दिया गया है। अब ‘लंबी जांच 12 साल बाद पूरी हो सकेगी। पुलिस के इतिहास में मुकदमे की यह सबसे लंबी चलने वाली जांच मानी जा रही है। बताया जाता है कि पूर्व मुखिया को आरोपी बनाने में कई पुलिस अफसर कतराते रहे। साल 2012 में नाथूराम नाम के व्यक्ति ने इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि उनकी जमीन किसी व्यक्ति ने मालिक बनकर बेच दी। इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद यह केस 2013 में राजपुर थाने को ट्रांसफर किया गया।

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