बीते वर्ष हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में नोएडा देश में स्वच्छता के मामले में 25वें नंबर पर और उत्तर प्रदेश में पहले नंबर पर काबिज हो गया।
जब स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया गया था, उस वक्त नोएडा के हालात सफाई के लिहाज से कुछ खास नहीं थे लेकिन लगातार किए गए व्यवस्थाओं में सुधार और लोगों में फैलाई जागरूकता से बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
जब स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया गया था, उस वक्त नोएडा के हालात सफाई के लिहाज से कुछ खास नहीं थे लेकिन लगातार किए गए व्यवस्थाओं में सुधार और लोगों में फैलाई जागरूकता से बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया:
नोएडा प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि कूड़े को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने के साथ समयबद्ध तरीके से कूड़ा उठाने की व्यवस्था की जा रही है। ड्रेन की सफाई बेहतर तरीके के साथ कोंडली ड्रेन के साथ वेटलैंड विकसित की जा रही है। प्रयास किया जा रहा है कि बीते वर्ष शहर की स्वच्छता सर्वेक्षण में जो रैंक थी, उसमें सुधार किया जाए।
नोएडा प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि कूड़े को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने के साथ समयबद्ध तरीके से कूड़ा उठाने की व्यवस्था की जा रही है। ड्रेन की सफाई बेहतर तरीके के साथ कोंडली ड्रेन के साथ वेटलैंड विकसित की जा रही है। प्रयास किया जा रहा है कि बीते वर्ष शहर की स्वच्छता सर्वेक्षण में जो रैंक थी, उसमें सुधार किया जाए।
सात वर्ष में हुए बदलाव: -महिलाओं के लिए पिंक शौचालयों के निर्माण के साथ -प्रत्येक एक किमी पर एक शौचालय की व्यवस्था की गई।
-खुले में शौच से पूरी तरह से मुक्ति मिली।
-मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों के जरिये प्रतिदिन 270 किमी तक सड़कों की सफाई जारी।
-250 कूड़ाघर को खत्म करके वहां पौधारोपण के साथ गमले लगाए गए।
-घर-घर से सेग्रीगेट किए जा रहे कूड़े को उठाने की व्यवस्था की गई।
-15 सेक्टरों में कूड़े के निस्तारण के लिए डी-कंपोज प्लांट लगाए गए।
-सेक्टर-54 स्थित डंपिंग यार्ड को खत्म कर वेटलैंड में बदला गया।
-सेक्टर-145 में 1200 मीट्रिक टन क्षमता का बायो रेमीडेशन प्लांट लगाया गया।
-सेक्टर-80 में मलबे के निस्तारण के लिए 300 मीट्रिक टन क्षमता का सी एंड डी प्लांट लगाया गया।
-मलबे को उठाने के लिए शहर में दस कलेक्शन प्वाइंट बनाए गए।
-लोगों को जागरूक करने को सफाईगिरि अभियान चलाया गया।
-ई-वेस्ट के लिए कलेक्शन सेंटर बनाए गए।
-प्लास्टिक की बोतलों के लिए क्रश मशीनें लगाई गईं।
-वेस्ट से चरखा बनाया गया, जिसे लिमका बुक आफ रिकार्ड में दर्ज किया गया।
-प्लास्टिक वेस्ट से 21 किमी लंबाई की सड़क बनाई गई।
-वेस्ट से स्कल्पचर बनाकर शहर के विभिन्न चौराहों पर लगाए गए हैं।
-बड़े नालों में बहने वाले कूड़े को रोकने के लिए 400 स्थानों पर बेंबू नेट लगाए गए हैं।
-जन स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं को बेहतर करने को -इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम बनाया गया, जिसकी आनलाइन मानीटरिंग की जा रही है।
-ट्रांसजेंडर को स्वच्छता अभियान से जोड़ा गया।