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BHU का PM को पत्र, भगीरथ बनें सांसद

बीएचयू के प्रदूषण विज्ञानियों की मानें तो अब क्लीन गंगा की नहीं सेव गंगा मिशन की जरूरत है। जानें क्या कहना है बीएचयू के वैज्ञानिकों का.

वाराणसी. काशी का सांसद बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मां गंगा ने बुलाया है। उन्होंने गंगा की रक्षा का संकल्प लिया था। लेकिन 18 महीने बीत गए पर पीएम की ओर से ऐसी कोई ठोस पहल नहीं हुई जिससे लगे कि वह वह अपने संकल्प को पूरा करने के लिए कोई पहल कर रहे हों। ऐसे में बीएचयू के वैज्ञानिकों ने अक्टूबर माह में पत्र भेज कुछ मशविरा दिया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का मानना है कि क्लीन गंगा नहीं अब सेव गंगा मिशन की जरूरत है। कारण अब गंगा के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है। 
क्या है बीएचयू का प्रस्ताव
1972 से गंगा पर काम करने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के विशेष सदस्य डॉ. बीडी त्रिपाठी ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि अक्टूबर में ही पीएम को पत्र भेजा गया है। पीएम से गुजारिश की गई है कि जिस तरह से देश भर के सांसदों को एक-एक गांव गोद लेकर उसकी साफ-सफाई से लेकर विकास तक की योजना लागू की गई है उसी तर्ज पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में गंगा को गोद लेने की योजना लागू की जाए। प्रो. त्रिपाठी कहते हैं कि गंगा प्रदूषण की बात डेढ़ दशक पुरानी हो गई है। अब तो गंगा के अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई लड़नी है। हाल के वर्षों में गंगा का जलस्तर और प्रवाह निरंतर घटता जा रहा है। बताया कि बनारस में अक्टूबर महीने में ही एक सर्वे में पाया गया कि गंगा का प्रवाह और जलस्तर अब तक के न्यूनतम बिंदु पर था। ऐसे में गंगा के अस्तित्व की रक्षा के लिए एकाउंटिबिलिटी तय करनी ही होगा। क्यों ने इसकी शुरूआत सांसदों से की जाए। जिन पांच राज्यों से हो कर गंगा गुजरती हैं वहां के सांसद जब मां गंगा के अस्तित्व की लड़ाई से जुटेंगे तो सफलता जरूर मिलेगा।


45 करोड़ो लोगों के जीवन पर मंडरा रहा संकट
प्रो.त्रिपाठी बताते हैं कि सर्वे के मुताबिक करीब 45 करोड़ लोगोंं के जीवन का आधार बन चुकी हैं गंगा। ऐसे में गंगा को अगर नहीं बचाया जा सका तो 45 करोड़ लोगों के जीवन पर संकट पैदा होगा। यही नहीं 45 करोड़ लोग ही क्यों इतने परिवार का जीवन संकट में होगा। 

इन बिंदुओं पर हो शोध
-गंगा के पानी की गुणवत्ता अन्य नदी के पानी की गुणवत्ता की तुलना में अलग क्योंं।
-गंगा में बहुत से खनिज पदार्थ, वैक्टीरिया, औषधीय पौधों के अर्क, आक्सीजन और रेडियोधर्मी पदार्थों के स्त्रोत क्या हैं और किस मात्रा में मिल कर गंगा जल को विशिष्ट गुण प्रदान करते हैं।
-गंगा जल के प्रवाह में कमी के लिए जिम्मेदार कौन -कौन से हैं कारक और उनकी वजह से प्रवाह में कितने प्रतिशत की कमी हो रही है।
-गंगा किनारे के सभी शहरों के किस किस क्षेत्र से कितनी मात्रा में और किन गुणों वाले प्रदूषक निस्तारित किए जा रहे। 
-किस कारण से कितनी मात्रा में गंगा जल धारण क्षमता में कमी हुई।
-गोमुख से पश्चिम बंगाल के बीच के 2525 किलोमीटर की यात्रा के दौरान पवित्र गंगा जल कहां तक प्रवाहित होता है।

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