दिव्यांग होकर भी गौतम जो कर रहे हैं, वह सामान्य लोग करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते हैं।
नोएडा। 27 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में गांव-गांव तक फुटबॉल पहुंचाने की बात कही थी। इसकी शुरुआत की है मेरठ के गौतम पाल ने।
गौतम पाल ने पीएम मोदी के सपने को पूरा करने के लिए मेरठ के कई गांवों में बच्चों को फुटबॉल वितरित की हैं और ये क्रम लगातार जारी है। वह इन बच्चों के साथ फुटबॉल की प्रैक्टिस भी करते हैं। यहां ये बताना जरूरी है कि गौतम पाल दिव्यांग हैं। गौतम पाल की पहचान केवल इतनी ही नहीं है।
बचपन से दिव्यांग हैं गौतमगौतम अपनी हर्ष स्पेशली एबल्ड केयर फाउंडेशन के तहत दिव्यांगों की हर संभव मदद करते हैें। गौतम का कहना है, मैं चाहता हूं कि फीफा 2017 में इंडिया का टैलेंट भी दुनिया के सामने आना चाहिए। गौतम पाल बचपन से ही दिव्यांग हैं लेकिन इसे उन्होंने कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। बल्कि बचपन से ही उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाया।
बॉडी बिल्डर रह चुके हैंगौतम बताते हैं, बचपन से मन में हमेशा से कुछ अलग करने की चाह थी। केवल अपने लिए नहीं बल्कि सभी के लिए। मैंने बॉडी बिल्डिंग शुरू की और नेशनल लेवल तक की प्रतियोगिताओं में भाग लिया। 1996 से 2002 तक वेटलिफ्टिंग में गौतम ने कई बार पदक जीते। अपनी पुरानी तस्वीरें गौतम बहुत शौक से दिखाते हैं। वह कहते हैं, अगर भगवान आपसे एक चीज लेता है तो बदले में आपको बहुत कुछ देता भी है। दिव्यांगों को अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए।
ऐसे शुरू किया अपना इंस्टीट्यूटबॉडी बिल्डिंग के साथ ही गौतम ने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और सोशियोलॉजी में एमए के बाद उन्होंने लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस में पीएचडी की। वह हर्ष स्पेशली एबल्ड केयर फाउंडेशन और रंगानाथन पुस्तकालय उत्थान समिति के अध्यक्ष हैं। पढ़ाई के समय ही गौतम ने कुछ अलग करने की ठान ली थी। बीलिब की पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने एक इंटर कॉलेज में कुछ जगह किराए पर लेकर अपना इंस्टीट्यूट शुरू किया। पांच साल किराए की इमारत में इंस्टीट्यूट चलाने के दौरान कई सारी परेशानियां आई लेकिन वह टूटे नहीं। पांच साल बाद उन्होंने अपनी इमारत में इंस्टीट्यूट शुरू किया।
लाइब्रेरी से है खास लगावगौतम को लाइब्रेरीज से बहुत प्यार है और वह लार्इब्रेरी और उनमें काम करने वालों की भलाई के लिए काम करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि यूपी में पुस्तकलय अधिनियम लागू हो। इसके लिए उन्होंने 2012 में रंगानाथन पुस्तकालय उत्थान समिति का गठन किया। इंडिया की लार्इब्रेरीज को सुधारने के लिए वह अक्सर विदेश जाकर वहां से लाइब्रेरीज के बारे में जानकारी जुटाते हैं।
मोदी भी जानते हैं गौतम पाल को02 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आकाशवाणी के पहले प्रोग्राम मन की बात में गौतम पाल द्वारा दिए गए सुझाव को शामिल किया था। गौतम पाल गरीब, दिव्यांग, विधवाओं, बुजुर्गों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। आसपास के बुजुर्ग जिनको सरकारी कागजात पूरे करने में बाधा आती है या सरकारी दफ्तर में परेशानी होती है। उनकी भी पूरी मदद गौतम द्वारा की जाती है।