रामपुर

Video: नवाबजादे काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां ने लगाया अरबों की जमीन हड़पने का आरोप

Highlights- एक सिख परिवार पर काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां के आरोप- अंतिम शासक के बेटे का नाम खतौनी से हटवाकर कब्जा ली सैकड़ों बीघा जमीन- नवाबजादा आबिद अली खां के इंतकाल के बाद खतौनी में बदलाव का आरोप

रामपुरJul 24, 2020 / 12:01 pm

lokesh verma

रामपुर. देश की सबसे बड़ी अदालत के एक आदेश के बाद भी अभी नवाब परिवार की संपत्ति का बंटवारा नहीं हो सका है। इसी बीच अरबों की जमीन से जुड़ा एक और मामला सामने आ गया है। नवाब परिवार से पूर्व मंत्री काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां ने नगर के एक सिख परिवार पर बेहद गम्भीर आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर कार्यवाही की की मांग की है। वहीं सिख परिवार ने डीएम से कहा है कि हमें बेवजह परेशान करने की नीयत से ऐसी शिकायत की गई है। सिख परिवार का कहना है कि अगर जमीन इनकी थी और हमारे पूर्वजों ने इनसे बटाई में ली थी तो फिर रजिस्ट्री किसने करवा दी। हम पिछले 53 सालों से इस जमीन पर काबिज हैं। इनको आज याद आई है, इससे पहले ये कहां थे। बहरहाल डीएम ने दोनों के शिकायती पत्रों में लिखी बातों पर जांच कराने की बात कही है।
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नवाब परिवार के नवाबजादे काजिम अली खान का शिकायती पत्र
नवेद मियां का आरोप है कि रियासत के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां के बेटे नवाबजादा सैयद आबिद अली खां की ताशका गांव स्थित 12.8860 हेक्टेयर जमीन उनके इंतकाल के बाद खतौनी में अपने नाम दर्ज कराकर हथिया ली गई है। अपने परिवार की संपत्ति के दस्तावेज़ों में हेरफेर सामने आने पर पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने साक्ष्यों सहित जिलाधिकारी को शिकायत भेजी है। उन्होंने अवैध रूप से खतौनी में दर्ज नाम राजस्व रिकॉर्ड से खारिज किए जाने की मांग की है। अंतिम शासक के पौत्र पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने बीते मंगलवार को जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह को कुछ दस्तावेज़ सौंपे हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके चाचा आबिद अली खां की ताशका गांव स्थित गाटा संख्या 255 अ और ब रकबा 12.8860 जमीन है। यह उनका निजी बाग और काश्त की जमीन थी। आबिद अली खां की शादी 1964 में वेस्ट जर्मनी की राजधानी बोन में हुई थी। तब वह जर्मनी चले गये थे। मार्च 1968 में वह भारत लौटे और जुलाई 1968 में उनका रामपुर में ही इंतकाल हो गया। उनका परिवार अभी भी जर्मनी में रहता है।
यह जमीन मेरे वालिद नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां ने ठेके पर और देखभाल के लिए हरभजन सिंह, कश्मीरा सिंह और रतन सिंह पुत्रगण बलकार सिंह को दी थी। इन तीनों ने आबिद अली खां के निधन के बाद यह जमीन अवैध रूप से खतौनी में अपने नाम दर्ज कराकर कब्जा ली, जिसमें राजस्व प्रशासन की भी मिलीभगत थी। नवाब काजिम अली खां ने कहा है कि 1346 फसली से ही उक्त ज़मीन राजस्व अभिलेखों में उनके दादा और चाचा के नाम दर्ज चली आ रही है। यह नॉन जेड ए-1 श्रेणी जमीन है। मुहाफिज़खाना के रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि अवैध रूप से अपने नाम दर्ज कराकर यह सैकड़ों बीघा जमीन कब्जाई गई है और अब शहर से सटी इस पर प्लाटिंग कर बिक्री की कोशिश की जा रही है। उन्होंने जिलाधिकारी से खतौनी में अवैध रूप से दर्ज नाम राजस्व रिकॉर्ड से खारिज किये जाने की मांग की है।
सिख परिवार के सदस्यों का शिकायती पत्र

सिख परिवार का कहना है उन्होंने जो आरोप लगाए हैं वह झूठे और निराधार हैं। कोई जमीन ठेके पर नहीं दी गई थी। हमने बाकायदा जमीन का बैनामा कराया है। जमीन की खसरा खतौनी में भी हमारे ही नाम दर्ज हैं। बेवजह हमें परेशान करने की नियत से शिकायत कर रहे हैं। डीएम साहब से मांग करते हैं कि हंमारे ऊपर लागए गए आरोपों की जांच करके उनका शिकायती पत्र ख़ारिज करें। सेवा सिंह और नरायण सिंह ने कहा कि 50 साल से ये कहां थे। यहां पर इसी जमीन में हमारे घर बने हैं। गुरुद्वारा बना है, कुछ जमीन को हमने बेचा भी है। बाकी बची जमीन पर हमारा कब्जा है।
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