नीरज शेखर का राजनीतिक सफर 10 नवम्बर 1968 में जन्मे नीरज शेखर की असली राजनीतिक शुरुआत 2007 में अपने पिता पूर्व प्रधनमंत्री चंद्रशेखर सिंह की मौत के बाद हुई। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मौत के बाद हुए उपचुनाव में नीरज शेखर ने बसपा प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी को हराकर जीत हासिल की। तत्पश्चात 2009 में लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर संग्राम यादव को शिकस्त देते हुए दुबारा सांसद बने। इस बीच 2014 में हुए लोक सभा चुनाव में मोदी लहर के बीच समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे नीरज शेखर चुनाव हार गये। इन्हें भाजपा उम्मीदवार भरत सिंह ने शिकस्त दिया। चुनाव हारने के बाद भी नीरज शेखर का कद सपा ने गिरने नहीं दिया और इन्हें राज्यसभा के लिए भेज दिया। 2019 के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर का टिकट काट दिया। लोकसभा चुनाव में टिकट कटने से नाराज़ नीरज शेखर ने समाजवादी पार्टी से मुंह मोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने नीरज शेखर पर पुनः भरोसा जताते हुए राज्यसभा के लिए भेज दिया। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भी बीजेपी ने इन्हे अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
क्या है पारिवारिक पृष्ठ भूमि भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर का पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी प्रभावशाली रही है। नीरज शेखर के पिता चंद्रशेखर न केवल बलिया से आठ बार सांसद चुने गए बल्कि उन्होंने देश के प्रधानमंत्री पद को भी सुशोभित किया। मां दूजा देवी के छोटे पुत्र नीरज शेखर के बड़े भाई पंकज शेखर बड़े उद्योगपति हैं। नीरज शेखर की पत्नी डा.सुषमा शेखर तथा पुत्रियां नवेली शेखर व रानियां शेखर हैं।