ये यात्रा निकालने का मकसद है भाजपा के कथित हिंदूवादी होने के ढोंग को सार्वजनिक करना। उनकी हकीकत को उजागर करना। यात्रा में शामिल यात्री लोगों को बताएंगे किस तरह से अयोध्या में राम लला का मंदिर बनाने का समय-समय पर खास तौर पर चुनाव के वक्त जोर-शोर से नारा गुंजाने वाली भाजपा किस तरह से सनातन हिंदू परंपरा से खेल रही है। किसी तरह से देवी -देवताओं पर ओछी टिप्पणी की जा रही है। कैसे देव विग्रहों को नष्ट किया जा रहा है। मंदिरों को गिराया जा रहा है। ऐतिहासक और पौराणिक महत्व वाले भवनों को ध्वस्त किया जा रहा है।
दरअसल यह यात्रा निकालने जा रही है आम आदमी पार्टी। इस यात्रा में पार्टी के पंजाब और दिल्ली के विधायक और मंत्री भी शामिल होंगे। यात्रा के बाबत पार्टी के पूर्वांचल संयोजक संजीव सिंह ने पत्रिका को बताया कि यात्रा का मकसद लोगों को बताना है कि किस तरह से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के धार्मिक वजूद को नष्ट कर उसे व्यावसायिक स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है। वह कहते हैं कि इसकी शुरूआत 2015 में तब होती है जब अंबानी परिवार काशी आता है और गंगा दर्शन के साथ बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करता है। उसी वक्त विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के व्यवसायीकरण की नींव रख दी जाती है। पहले इसका नाम गंगा पाथ वे दिया जाता है, लेकिन इसका विरोध होने पर उसे श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नाम दिया जाता है। इसके तहत सैकड़ों मंदिरों और ऐतिहासक महत्व वाले भवनों को जमींदोज कर दिया जाता है। हजारों देव विग्रहों को नष्ट कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि दरअसल पीएम और सीएम जो खुद एक पीठ के पीठाधीश्वर हैं का मकसद दर्शनार्थियों को मंदिर के गर्भगृह तक के लिए सुगम मार्ग देना नहीं है। वस्तुतः इसका पूरी तरह से व्यवसाय करना है। वो कहते हैं कि दर्शनार्थी हजारों हजार साल से काशी की सर्पीली गलियों से आसानी के साथ बाबा विश्वनाथ के गर्भ गृह तक पहुंचते रहे हैं। चाहे वह सावन के सोमवार हों, महाशिवरात्रि हो या रंग भरी एकादशी हो। अपार जनसमूह उमड़ता रहा है। लेकिन किसी को किसी तरह की दिक्कत कभी नहीं हुई। उनका कहना है कि यह सोच दरअसल अंबानी परिवार की है, जिसकी पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अनादि काल से स्थापित काशी की संस्कृति से खिलवाड़ कर रहे हैं।
सिंह का यह भी आरोप है कि किसी भी सरकार की यह पहली परियोजना है जिसका डीपीआर बाद में तय होता है या तय नहीं भी होता है और परियोजना के तहत ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पहले शुरू कर दी जाती है। वह भी आम जनमानस से लेकर न्यायालय तक को गुमराह करके। वस्तुस्थिति से अब तक किसी को अवगत नहीं कराया गया और सैकड़ों भवन व मंदिरों को जमींदोज कर दिया गया। अब तो प्रसाद वितरण की नई नीति से भी कमाई का नया धंधा शुरू कर दिया गया है। रोजाना मंगला आरती के नाम पर जो ई-टिकट की बुकिंग हो रही है वह भी पूरी तरह से अधार्मिक है। इसका कई बार मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी विरोध कर चुके हैं।
उन्होंने बताया कि ठीक इसी तरह से अयोध्या में इस यूपी सरकार ने 176 भवनों को गिराने का फैसला लिया है। वहां भी काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र की ही तरह व्यापक पैमाने पर तोड़फोड़ शुरू की जाने वाली है। मंदिर विस्तार का नाम दिया जा रहा है। संजीव कहते हैं कि यह सरकार जिसने साढे चार सालों में नमामि गंगे के नाम पर आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार 14000 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हों लेकिन गंगा का हाल यह है कि यह पहले से भी ज्यादा मैली हुई हैं। यहां भी धार्मिकता नहीं है, आस्था नहीं है महज व्यावसायीकरण ही है। इसी के तहत घाटों से पंडों को उजाड़ने की योजना पर काम चल रहा है तो गंगा में क्रूज चला कर सदियों से पीढि़यों से आजीविका चला रहे नाविकों के पेट पर लात मारा जा रहा है। सब कुछ एक उद्यमी की सोच पर काम हो रहा है।
इसी सब को उजागर करने के लिए आम आदमी पार्टी ने सनातन धार्मिक परंपरा, भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को अयोध्या के राम की पैड़ी नया घाट से काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट तक की, ”भाजपा भगाओ, भगवान बचाओ” यात्रा निकालने का फैसला किया है। यह यात्रा अयोध्या से फैजाबाद, सुल्तानपुर, जौनपुर, बाबातपुर, फूलपुर, पिंडरा होते 13 जनवरी को दोपहर दो बजे काशी के राजेंद्र प्रसाद घाट पहुंचेगी। इसका नेतृत्व आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह करेंगे। इसमें अयोध्या के साधुं संतों के अलावा काशी का संत समाज, पीडि़त कारोबारी, नागरिक के अलावा पंजाब और दिल्ली के विधायक और मंत्री भी शामिल होंगे।