वाराणसी. एआईएमआईएम के मुखिया असद्दुदीन ओवैसी को उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकते हैं। इस ख़ुफ़िया रिपोर्ट के चलते ही उत्तर प्रदेश सरकार ओवैसी को प्रदेश के विभिन्न शहरों में सभा करने की अनुमति देने से इंकार कर रही है।
गौरतलब है कि ओवैसी और उनकी पार्टी ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में सभा करने के लिए स्थानीय जिला प्रशासन से अनुमति मांग चुका है लेकिन ख़ुफ़िया रिपोर्ट के कारण अनुमति नहीं मिल रही जिसको लेकर पार्टी ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुकी है।
वाराणसी में तैनात उत्तर प्रदेश के ख़ुफ़िया अधिकारी का दावा है कि एमआइएम को यूपी में सभा की इसलिए अनुमति नहीं दी जा रही है क्योंकि उनके भाषण से गैर संप्रदाय के लोगों की भावनाएं भड़क सकती है। यूपी में और अन्य प्रदेशों में ओवैसी की अब तक की हुई सभाओं की इंटेलिजेंस के पास रिकार्डिंग हैं। ओवैसी के भाषण में तीखापन होता है जिससे यहाँ अन्य वर्ग में रोष बढ़ सकता है। बनारस में यदि ओवैसी की पार्टी उनकी सभा की इजाजत मांगती है तो ख़ुफ़िया विंग जिला प्रशासन से आग्रह करेगा कि ओवैसी को सभा की इजाजत न दी जाए वर्ना काशी की फिजा बिगड़ सकती है।
ख़ुफ़िया अधिकारी से जब पूछा गया कि इसको लेकर पार्टी मुद्दा बना सकती है तो उनका सीधा सपाट उत्तर था कि कोई पार्टी कुछ कहे खुफिया विंग अपना काम तो करेगी ही। उन्होंने दो वाकयों को सामने रखा और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी वाराणसी से नामांकन के बाद चुनावी रैली करना चाहते थे। बीजेपी ने बेनियाबाग में रैली की अनुमति मांगी थी लेकिन ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट पर जिला प्रशासन ने अनुमति से इंकार कर दिया था क्योंकि बेनिया में मोदी के आने और बीजेपी की सभा से बनारस में हिंसा हो सकती थी।
नब्बे के दशक में राम मंदिर को लेकर जब पूरे देश में लहर थी तब विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी प्रत्याशी श्रीश्चन्द दीक्षित के बुलावे पर बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा समेत अन्य नेताओं की बेनिया में रैली हुई थी। इस दौरान वहां काफी हिंसा हुई थी। बम फोड़े गए थे और गोलियां चली थी जिससे पूरे शहर का माहौल बिगड़ गया था। उसके बाद से बेनिया बाग़ में बीजेपी को रैली की अनुमति नहीं दी गयी। यहाँ तक कि रामजन्म मंदिर को लेकर नब्बे के दशक में ही लालकृष्ण आडवाणी को भी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के कारण ही बेनिया में रैली की अनुमति नहीं मिली थी।