13 वें दिन जूस पिला कर राजनाथ का अनशन खत्म कराया बता दें कि 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। अलगे दिन राजनाथ सिंह बनारस आए, पहले सर्किट हाउस में रुके, कार्यकर्ताओं से मिले, मीडिया से मुखातिब हुए और सर्किट हाउस से निकल कर विशाल बोधि वृक्ष के नीचे अनशन पर बैठ गए। वह पार्टी विधायक कृष्णानंद राय के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। इस हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। राजनाथ सिंह के अनशन के एक-एक दिन बीतते गए, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह लगातार सीबीआई जांच की मांग ठुकराते रहे। बीजेपी का कोई ऐसा नेता नहीं था जो इस दौरान यहां न आया हो। यह अनशन 13 दिन तक चला था, 12वें दिन लाल कृष्ण आडवाणी बनारस आए और उसी बोधि वृक्ष के नीचे से सपा सरकार को ललकार गए। फिर अगले दिन सुबह आए बीजेपी के शीर्षस्थ व सर्वमान्य नेता अटल बिहारी वाजपेयी। कारण साफ था कि एक तरफ जहां मुख्यमंत्री मुलायम सिंह अपनी जिद पर अड़े रहे तो इधर राजनाथ सिंह, तमाम नेताओं के मान मन्नौवल के बाद भी जब राजनाथ सिंह पर किसी का असर नहीं पड़ा तो अटल जी को आना पड़ा। मंच पर ही दोनों नेताओं के बीच गुप्तगू भी हुई। लेकिन जब वह संबोधन के लिए खड़े हुए तो काशी के नागरिकों ने उनका हर-हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो शांति छा गई, ऐसी शांति कि सुई गिर जाए तो आवाज हो जाए। वह अटल जी ही थे जो राजनाथ सिंह को मनाने में सफल रहे। आखिर ऐसा हो भी कयों नहीं। राजनाथ सिंह, अटल जी को ही अपना राजनीतिक गुरु भी मानते रहे। अटल जी ने ही राजनाथ सिंह को जूस पिला कर 13 दिन पुरान अनशन तोड़वाया फिर अत्याधुनिक रथ पर बिठाया। चंदौली होते यह न्याय यात्रा पूरे देश में घूमी। तब अटल जी ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथ लिया था सीबीआई जांच के लिए।