इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पीआरओ डॉ राजेश सिंह द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 14 नवंबर को बीएचयू के लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास के कुछ छात्रों और बिड़ला-ए छात्रावास के कुछ छात्रों के बीच जमकर मारपीट और पथराव हुआ था। हालांकि इसकी शुरूआत मैत्री जलपान गृह के पास ही दोनों छात्रावासों के छात्रो के बीच कहासुनी फिर मारपीट के साथ हुई थी। तब घटना की जानकारी होते ही कला संकाय प्रमुख, प्रशासनिक वार्डन, दोनों छात्रावासों के वार्डन, छात्र सलाहकार और छात्रावास समन्वयक तथा चीफ प्रॉक्टर घटनास्थल पर पंहुचे और संघर्षरत छात्रों को समझा बुझा कर मामले को हल करने की कोशिश की। विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ विस्तार से चर्चा के बाद छात्र अपने अपने छात्रावासों को लौट गए। तकरीबन एक घंटे बाद लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास के कुछ छात्रों द्वारा बिड़ला छात्रावास की तरफ पत्थर फेंकने की सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिली। स्थिति हिंसक और गंभीर होते देखकर पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस बल ने कैंपस में आकर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। इस दौरान पत्थरबाज़ी में कुछ छात्रों और पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं।
डॉ सिंह ने बताया कि स्थिति की गंभीरता और कानून व्यवस्था के मद्देनज़र पुलिस प्रशासन ने छात्रावास के भीतर प्रवेश करने का निर्णय लिया। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने छात्रावास की तलाशी ली। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित किया कि बाहरी लोगों के अतिरिक्त कुछ छात्र भी अवैध रूप से छात्रावास में प्रवास कर रहे थे तथा उनके पास से प्रतिबंधित वस्तुएं भी प्राप्त हुईं। पुलिस कर्मियों ने पुलिस प्रशासन के निर्देशानुसार कार्रवाई की और विश्वविद्यालय को सूचित किया कि स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास को खाली कराया जाना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है और छात्रों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। स्थिति की गंभीरता एवं बिगड़ते हालात को देखकर पुलिस ने लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास को ख़ाली कराते हुए बंद करा दिया।
उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास में प्रवास कर रहे दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए तत्काल प्रभाव से अन्य छात्रावासों में वैकल्पिक प्रवास की व्यवस्था की गई। पीआरओ के अनुसार 14 नवंबर की शाम को कतिपय छात्रों और बाहरी लोगों ने विश्वविद्यालय के सिंह द्वार की घेराबंदी कर सामान्य आवाजाही को पूर्ण रूप से बाधित कर दिया तथा द्वार पर ही धरने पर बैठ गए। ऐसा करने से न केवल विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण खराब हुआ बल्कि सर सुंदरलाल अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीज़ों को भी काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। धरनारत छात्रों की मांग है कि लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास को तत्काल खोला जाए। संकाय प्रमुख, प्रशासनिक वार्डन, दोनों छात्रावासों के वार्डन, छात्र सलाहकार एवं छात्रावास समन्वयक, चीफ प्रॉक्टर और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारी छात्रों से 14 नवंबर और 15नवंबर को संवाद किया गया तथा मामले को सुलझाने की कोशिश की गई, परंतु छात्र अपनी मांग पर अड़े रहे।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों के अस्थायी प्रवास के लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों में समुचित व्यवस्था और सभी आवश्यक वस्तुओं की यथासंभव उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। छात्रों को आश्वस्त किया गया है कि छात्रावास को जल्द से जल्द खोलने के प्रयास किये जा रहे हैं। पीआरओ ने बताया कि 15 नवंबर को ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने धरनारत छात्रों से अपील की थी किवे अपना धरना समाप्त करें और जहां भी उनके लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है वहां लौट जाएं तथा विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को पुनः स्थापित करने में अपना सहयोग दें। किसी भी प्रकार की ग़ैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त न हों।
समझा जा रहा है कि इस अपील का असर छात्रों पर पड़ा। हालांकि छात्रों का दावा है कि देर शाम विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी धरना स्थल पर पहुंचे और दोनों पक्षों में हुई वार्ता के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी बातें मान लीं इसके बाद ही देर रात धरना समाप्त किया गया।