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#PatrikaNews#Save environment-पर्यावरण संरक्षण के लिए BHU ने उठाए ये बड़े कदम, जानें क्या-क्या होने जा रहा…

#Save environment- BHU प्रशासन का बड़ा कदमबोले कुलपति, बिना एक पैसा खर्च किए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया बड़ा कदमतीन स्तर पर चल रहा है कार्य, पहले चरण का लाभ 15 अगस्त से मिलना शुरू हो जाएगाकोई फाइल अब गुम नहीं होगीसर सुंदर लाल चिकित्सालय के मरीजों-तीमारदारों को मिलेगा गर्म पानीविश्वविद्यालय के कार्यालयो में पहुंचेगी ठंडी हवा

वाराणसीAug 06, 2019 / 08:05 pm

Ajay Chaturvedi

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डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया है बड़ा कदम। तीन चरण में पूरा होना है। पहले चरण के कार्य की शुरूआत स्वतंत्रता दिवस से हो जाएगी। यानी विश्वविद्यालय जो अब तक कम से कम बनारस में एक ऐसा परिसर था जो पहले से ही पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा संतुलित था वह अब लगभग शून्य स्तर तक पहुंच जाएगा।
योजना के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय अब अगले सप्ताह से लगभग पूरी तरह से पेपरलेश हो जाएगा। पूरी तरह से डिजिटल सिस्टम लागू हो जाएगा। यह संभव हो पा रहा है देश के प्रमुख औद्योगिक संस्थान टाटा के इंफोटेक के सहयोग से। टाटा ने बीएचयू को डिजिटल करने का काम लगभग पूरा कर लिया है। इस संबंध में बीएचयू के कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने पत्रिका को बताया कि करीब 90 फीसद से ज्यादा काम हो गया है। हम उम्मीद करते हैं इस व्यवस्था को 15 अगस्त से लागू कर देंगे।
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BHU Rakesh Bhatnagar” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/08/06/vc_bhu_bhatnagar-_4939633-m.jpg”>उन्होंने बताया कि इससे रिकार्ड खोजने में आसानी होगी। कौन सी फाइल कहां रुकी है इसे पलक झपकते पकड़ा जा सकेगा। इससे कोई कार्य विलंबित नहीं होगा। कोई कार्रवाई लंबित नहीं रहेगी। सारे रिकार्ड सुरक्षित रहेंगे। दूसरे सारी कार्रवाई थ्रू कंप्यूटर होगा। इससे कागजों का कचरा नहीं निकलेगा। कागज का इस्तेमाल बंद होगा तो पेड़ों की कटाई पर लगाम लगेगी। इससे रोजाना कम से कम चार और महीने में करीब 120 पेड़ कटने से बचाए जा सकेंगे। बताया कि सिस्टम आर्किटेक्चर तैयार कर लिया है।
इसके अलावा जो काम विश्वविद्यालय के संस्थापक के कार्यकाल में होता था वह काम भी फिर से शुरू होने जा रहा है। यानी बीएचयू में बिजली बनने जा रही है। यह कार्य भी एक निजी कंपनी कर रही है। वह विश्वविद्यालय परिसर के घरों, विभागों, संस्थानों और यहां तक कि अस्पताल के कचरे को एकत्र कर उससे बिजली बनाएगी। यह काम 13 महीने पूरा होगा। कंपनी बीएचयू के कूड़े से 3.5 मेगावाट बिजली बनाएगी। यह बिजली, पावर कारपोरेशन से 30 फीसद कम दाम पर बीएचयू को मिलेगी। इसके अलावा पूरे परिसर में सोलर एनर्जी का भी इस्तेमाल होगा। इससे करीब 6 मेगावाट बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यह काम 6 महीने में पूरा होगा। उन्होंने बताया कि कंपनी ने वादा किया है कि बिजली बनाने के अलावा वो हमें ठंडी हवा और गर्म पानी भी उपलब्ध कराएगी। ऐसे में हम अपने अस्पताल के मरीजों और तीमारदारों को गर्म पानी भी मुहैया करा पाएंगे। कार्यालयों को ठंडी हवा मिल पाएगी।
बताया कि पूरे बीएचयू परिसर के लिए 13 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। ऐसे में अगर 10 मेगावाट बिजली हमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर मिल रही है वह भी सस्ते दर पर तो यह विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है।

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“सबसे बड़ी बात तो यह कि इन सारी सुविधा के लिए बीएचयू को एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। सारी सुविधाएं निःशुल्क मिलेंगी। यानी एक तरफ जहां पर्यावरण को सुरक्षित रखने में हम कुछ मदद कर पाएंगे तो अपने लोगों को काफी कुछ सहूलियत दे पाएंगे। कूड़े के निस्तारण को लेकर होने वाली कठिनाई भी दूर होगी। “- प्रो राकेश भटनागर, कुलपति बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

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