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दिल्ली, बंगलूरू से भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले बनारस में, हो एम्स की स्थापना, पीएम को लिखा गया पत्र

बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर ने एम्स के लिए पीएम को लिखा पत्र।

वाराणसीMay 07, 2018 / 02:08 pm

Ajay Chaturvedi

एम्स

एम्स

वाराणसी. पूर्वाचल ही नहीं, समूचे उत्तर भारत का केंद्र वाराणसी, जहां इलाज के लिए दूर दराज से लोग आते हैं, लेकिन उन्हें ले दे कर एक बीएचयू के सरसुंदर लाल चिकित्साल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में इस सरसुंदर लाल अस्पताल पर बोझ कहीं ज्यादा है और वह दिन ब दिन बढता ही जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी के लिए काफी कुछ किए जा रहे हैं, इस विश्वविद्यालय में भी लेकिन वह मरीजों की तुलना में नाकाफी है। ऐसे में लंबे अरसे से एक मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं कि यहां एक एम्स की स्थापना की जाए। इसके लिए डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से भी पत्राचार किया जा चुका है। नरेंद्र मोदी जब बनारस से चुनाव जीते तो लोगों की उम्मीद जगी कि अब तो यहां एक एम्स जरूर स्थापित हो जाएगा। लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं। इसके लिए तमाम आंदोलन भी हुए। इन आंदोलनों की अगुवाई बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर ने की। उन्हें इसका खामियाजा तक भुगतना पड़ा जब डॉ लालजी सिंह के कार्यकाल में उन्हें निलंबित कर दिया गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना अभियान जारी रखा। अब फिर से उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर बीएचयू से बाहर एम्स की स्थापना की मांग की है।

वैसे भी यह माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति,समाज और राष्ट्र के समग्र विकास के लिए जिन दो सबसे महत्पूर्ण चीजों की आवश्यक होती है वो है शिक्षा और स्वास्थ। इन दोनों में स्वास्थ कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वस्थ शरीर में हीं स्वस्थ मन का निवास होता है। हम भारतीयों और खासकर काशीवासियों के लिए यह अतिगर्व का विषय है कि पूरी दुनिया में काशी हीं वो नगरी है जहां चिकित्सा जगत की उत्पत्ति हुई थी। स्वयं भगवान धन्वन्तरि जी द्वारा (समुद्र मंथन के पश्यात) भगवान शंकर जी को विष के दुष्प्रभाव से बचाकर, तभी से काशी कालजयी नगरी कहलाने लगी। यही नहीं भगवान धन्वन्तरि जी के वंशज महर्षि देवदास जी ने “शल्य चिकित्सा का विश्व का पहला विश्वविद्यालय” भी काशी में हीं बनवाया था, जिसके प्राचार्य महर्षि सुश्रुतजी बनाये गए थे। यहीं आकार विदेशियों ने भी शल्य चिकित्सा में अपनी दक्षता हासिल की थी।
ऐसे में डॉ ओम शंकर ने पीएम को पत्र लिखा है जिसमें कहा है कि चिकित्सा जगत तथा स्वास्थ पर्यटन की जननी उसी काशी तथा आसपास के करोड़ों लोगों को आज अपने विशिष्ठ इलाज के लिए पूरे देश में दर-ब-दर भटकना पर रहा है। वो भी तब जबकि आप खुद काशी से सांसद हैं और अगल-बगल के जिलों के सांसदगण शिक्षा राज्यमंत्री, स्वास्थ राज्यमंत्री, कुटीरउद्योग मंत्री और रेल राज्यमंत्री जैसे प्रभावशाली पदों पर विराजमान हैं। गृहमंत्री का गृहजनपद भी बगल का जिला चंदौली हीं तो है। यही नहीं, काशी में “एम्स” की स्थापना के लिए विगत 7 सालों से जमीनी स्तर पर आंदोलन भी चल रहा है, जिनका हमेशा हीं बीजेपी सहित सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने दिल खोलकर समर्थन किया है।
डॉ शंकर ने पत्र में लिखा है कि जब आपने अपने पहले हीं बजट में पूर्वांचल को एक एम्स देने की घोषणा की थी तो काशी तथा आसपास के लोगों के ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा था, क्योंकि उनको पूरी उम्मीद थी कि ये “एम्स” दिल्ली की हीं भांति पूर्वांचल की प्रस्तावित राजधानी और आपके संसदीय क्षेत्र काशी में हीं बनेगा। लेकिन पिछले साल जब आपने इसका शिलान्यास गोरखपुर में करने की घोषणा की तो यहां के करोड़ों गरीब लोगों का दिल टूट गया क्योंकि इससे काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक स्मिता के मिट जाने का खतरा खड़ा होता दिखने लगा। यही नहीं अब आसपास के लोगों के मन में पूर्वांचल राज्य घोषित होने की स्थिति में उसकी राजधानी भी काशी से छीनकर गोरखपुर को बना दिए जाने का भय सताने लगा है।
इन सब महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक वजहों के अलावा भी कई ऐसी ठोस वजहें हैं जो काशी के लोगों के एम्स की मांग को जायज ठहराने के लिए महत्वपूर्ण हैं : –

1- सांस्कृतिक स्वरुप की रक्षा के साथ-साथ आपको भी होगा इसका फायदा- काशी आपका संसदीय क्षेत्र है जिसको नए एम्स का तोहफा देकर आप इसे “स्वास्थ पर्यटन के हब” के रूप में स्थापित कर सकते हैं। इससे न सिर्फ काशी में स्वास्थ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और हमारे भारतीय संस्कृति की रक्षा होगी,बल्कि इस आसपास के हज़ारों युवाओं को नए रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। अगर इसकी घोषणा आप इस साल करते हैं तो इसका सीधा-सीधा लाभ आपको आनेवाले चुनावों में भी मिलेगा और आनेवाली हज़ारों पीढियां आपको याद रखेगी जिससे आप इतिहास के पन्नो में हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो जायेंगे।
2- जमीन भी आसानी से हो सकता है उपलब्ध- काशी में बीएचयू के ठीक बगल से होकर गुजरनेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे यहां से रामनगर तक सैकड़ों एकड़ जमीनें खाली पड़ी हैं। इसी तरह बाबतपुर हवाई अड्डे तथा नए निर्माणाधीन रिंग रोड के आसपास भी सैकड़ों एकड़ जमीनें खाली पड़ी हैं, जिनका आसानी से अधिग्रहण कर एम्स के मानकों को पूरा किया जा सकता है क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों हीं जगह बीजेपी की हीं सरकारें हैं। ऐसी हीं सैकड़ों एकड़ जमीनें काशी-मिर्जापुर मार्ग पर अदलपुरा में भी उपलब्ध हैं जो केंद्र सरकार के हीं अधीन है,जिनके लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर भी कोई समस्या नहीं होगी।
3- काशी को ओवरक्रावडिंग की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी- मुख्य शहर के बाहर नए एम्स के निर्माण से लोग शहर के बदले उस नवनिर्मित एम्स के आसपास विस्थापित होना शुरू कर देंगे क्योंकि वो उनके लिए सस्ता और बेहतर विकल्प होगा,जैसा नोएडा,गाजियाबाद और गुरुग्राम के विकास के बाद दिल्ली में देखने को मिला था।इससे जल्द हीं एक नया व्यवस्थित शहर,मुख्य शहर के बाहर बस जायेगा,जिससे मुख्य शहर को भीड़-भाड़ से मुक्ति मिल जाएगी। एम्स से न सिर्फ काशी तथा आसपास के 20 करोड़ गरीब लोगों की अपेक्षित स्वास्थ सुविधाएं मिलेगी,बल्कि शहर को तेजी से विकराल होती ओवर क्राउडिंग की समस्या से भी मुक्ति मिल जाएगी और ये सब संभव हो पायेगा काशी के पौराणिक स्वरुप को कायम रखते हुए।
4- काशी की भौगोलिक स्थिति तथा यहां पहुंचने में आस-पास के राज्यों-देशों से सुगमता-काशी, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिमी बिहार और नेपाल के मध्य स्थित एक ऐसा शहर है जो आज भी अच्छी तरह से रेल, जल, सड़क और वायु मार्ग से आसपास के प्रदेशों तथा देशों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यही नहीं यहां बच्चों के पढ़ने-लिखने के लिए अच्छे स्कूल भी पहले से हीं मौजूद हैं जिसके कारण यहां एम्स खुलने की स्थिति में उसमें काम करने के लिए योग्य चिकित्सक और कर्मचारी देश के किसी भी हिस्से से आकर रहने और काम करने को इक्षुक होंगे।
5- काशी तथा आसपास के लोगों की गरीबी मिटाने में भी इससे मिलेगी मदद- आज काशी तथा आसपास बसे ज्यादातर लोग या तो गरीब हैं या फिर मध्यमवर्गीय किसान।ऐसे लोग जीवनभर अपना पेट काट-काटकर एक-एक रुपया अपने बच्चों की शिक्षा,स्वास्थ और बेटियों की शादी-व्याह इत्यादि के लिए बचाते रहते हैं जो 30-40 सालों की कड़ी मेहनत-मजदूरी करने के बाद मुश्किल से कुछ हज़ार से लेकर 4-5 लाख रूपये तक हीं बचा पाते हैं। लेकिन तभी खड़ी हो जाती है उनके सामने उनके जीवन की सबसे कठिन चुनौती क्योंकि वो आ जाते हैं किडनी, लीवर, कैंसर और हृदय रोग जैसे किसी न किसी गंभीर,जानलेवा और महंगी इलाज वाले गंभीर बिमारी की चपेट में। इसके इलाज के चक्कर में कुछ हीं दिनों में वो अपने जीवनभर की सारी गाढ़ी कमाईयों को लुटाकर हो जाते हैं कंगाल और कर्जदार तथा आ जाते हैं सड़कों पर। “विश्व स्वास्थ संगठन” 2008 के आंकड़े भी इसी ओर इशारा करती हैं, जिसके मुताबिक पूरी दुनियां में लगभग 10 करोड़ लोग प्रतिवर्ष इसलिए गरीब हो जाते हैं क्योंकि वो या उनके परिवार के कोई न कोई सदस्य,किसी न किसी गंभीर बीमारी के चपेट में आ जाते हैं। इसलिए,सरकार अगर इन गरीबों के लिए “कम खर्च पर बेहतर स्वास्थ सेवाएं” काशी में उपलब्ध करवा देती है तो इससे न सिर्फ काशी तथा आस-पास के करोड़ों गरीब लोग अकाल मृत्यु के मुख में समाने से बच जाएंगे,बल्कि वो गरीब होने से भी बच जायेंगे।
6- काशी की स्वास्थ आवश्यकताएं जिनको सिर्फ काशी में एम्स खोलकर हीं पूरा किया जा सकता है – काशी की मुख्य समस्या है यहां आसपास के छह राज्यों से अपने इलाज को आनेवाले प्रतिदिन 10 से 15 हज़ार मरीज जो लिवर, किडनी, आंख, कान, बांझपन, हृदय और दिमाग की बीमारियों से गंभीर रूप से पीड़ित होते हैं जिनको आज अकेला बीएचयू,न सिर्फ अपेक्षित सेवा देने में असमर्थ है बल्कि बायपास, लीवर,किडनी ट्रांसप्लांट से लेकर,इनफर्टिलिटी,आंख,नाक और कान तक के विशिष्ठ विश्वस्तरीय इलाज आज भी बीएचयू में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में दूर-दूर से यहां अपने इलाज को आनेवाले मरीज या तो यहां के निजी स्वास्थ केंद्रों के शोषण का शिकार हो जाते हैं,या फिर अपने उचित इलाज न मिल पाने के कारण मायूस होकर दिल्ली,कलकत्ता,मुम्बई और बंगलोर जैसे शहरों का रुख करने को मजबूर हो जाते हैं। इन समस्याओं को काशी में एम्स खोलकर हीं दूर किया जा सकता है।इससे एम्स दिल्ली के ऊपर प्रतिदिन बढ़ता मरीजों का दवाब भी कम हो जायेगा।
7- काशी में स्वास्थ सेवाओं के बदहाली का दंश अबतक झेल चुके हैं बड़े-बड़े दिग्गज- यही नहीं काशी में समुचित इलाज आज उपलब्ध नहीं होने के कारण प्रतिवर्ष हज़ारों लोग असमय मौत के मुँह में समाने को आज विवश हैं और इसका खामियाजा अबतक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान,मोहम्मद शाहीद जैसे राष्ट्रीय धरोहर से लेकर सोनिया गांधी तक भुगत चकी हैं। साथ हीं काशी का एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के कारण यहाँ हमेशा हीं किसी न किसी अतिविशिष्ठ अतिथियों का आना-जाना लगा रहता है।जिनमें से कोई भी,किसी दिन,किसी गंभीर स्वास्थ समस्याओं के चपेट में आकार अपनी जान गंवा सकते हैं जिससे हमारे राष्ट्र की घोर बदनामी होगी।
8-काशी में “बीएचयू से अलग एम्स की स्थापना” से महामना की बगिया भी नहीं टूटेगी- काशी में बीएचयू से अलग नए एम्स के निर्माण से महामना की बगिया भी टूटेने से बच जायेगी।यही नहीं इसको उच्चीकृत करने के लिए आपके द्वारा 780 करोड़ रूपये की लागत से दिए कैंसर तथा सुपरस्पेशलिटी सेंटर की सौगात एक अत्यंत हीं सराहनीय कदम है।
9- कई शहरों में पहले भी कई सरकारी मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी वहां खोले गए हैं एम्स जैसे अस्पताल – दिल्ली में कई सारे सरकारी और निजी संस्थानों के बाद भी मरीजों की संख्या और आवश्यकताओं को देखते हुए वहां एम्स खोले गए, पटना में “पटना मेडिकल कॉलेज”,”नालंदा मेडिकल कॉलेज”और “इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज” जैसे 3-3 सरकारी मेडिकल कॉलेज पहले से होने के बाद भी वहां एम्स खोले गए और यहां तक कि गोरखपुर जैसे एक छोटे से शहर में “बीआरडी मेडिकल कॉलेज”,जिनको दो साल पूर्व हीं उच्चीकृत करने के लिए 150 करोड़ की धनराशी मिली थी, के बाद भी वहां एम्स खोला गया तो फिर चिकित्सा जगत की जननी काशी तथा आसपास के करोड़ों लोगों के स्वास्थ आवश्यकताओं के देखते हुए यहां भी बीएचयू से बाहर एम्स क्यों नहीं खोला जाना चाहिए?
10 भगवान-भगवान की आस्था में भेद क्यूं- महोदय,अगर हम ये मानते हैं कि जहां “भगवान विष्णुजी” के एक अवतार “भगवान रामजी” जहां पैदा हुए थे वहां हीं बनना चाहिए उनका सबसे भव्य मंदिर,तो फिर”भगवान विष्णुजी” के हीं दूसरे अवतार “भगवान धन्वन्तरिजी” के जन्मस्थली काशी में भी क्यूँ नहीं बनना चाहिए उनका सबसे दिव्य मंदिर वाला”एम्स”?जहां बीच में भगवान धन्वंतरि जी का मंदिर हो और उनके चारों कोने पर नव निर्मित एम्स के चार संकाय मसलन आधुनिक चिकित्सा संकाय, आयुष संकाय,दंत संकाय तथा शोध संकाय और उनके दीवारों पर अंकित हो चरक और सुश्रुत संहिता के ज्ञान वर्धक श्लोक।

उन्होने कहा है कि ऊपर के सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए यदि आप काशी तथा आस-पास के करोड़ों गरीब लोगों के सामाजिक,शारीरिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करना चाहते हैं और एक नये सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत आपको अपने संसदीय क्षेत्र,माँ गंगे-बाबा विश्वनाथ-भगवान धन्वंतरि,और महर्षि चरक-देवदास-सुश्रुत की कालजयी नगरी काशी में BHU से बाहर एक नए एम्स का निर्माण करवाकर करनी चाहिए,जिससे अनजाने में भी आपके हाथों काशी/भारतीय संस्कृति के साथ अन्याय न हो पाए।

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