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वाराणसी

बीएचयू के शिक्षकों को सलाम, संख्या में कम, मेधा में श्रेष्ठ, लगाई थर्ड प्लेस की हैटट्रिक

– तीन साल से हैं देश में तीसरे स्थान पर- 32 हजार छात्रों के लिए महज 1900 शिक्षक-पांच पैरामीटर्स पर तय की जाती है रैंकिंग- पहले स्थान पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर-IIT BHU ने भी सुधारा प्रदर्शन

वाराणसीApr 09, 2019 / 12:34 pm

Ajay Chaturvedi

BHU

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वाराणसी. महामना मदन मोहन मालवीय की कर्मभूमि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, एशिया की से बड़ी यूनिवर्सिटी। ने फिर एक बार अपनी श्रेष्ठता साबित की है। वह भी सीमित संसाधनों में। विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने यह साबित किया है कि वो संख्या में भले कम हों पर उनकी मेधा किसी से कमतर नहीं। ये मेधा ही है जिसके दम पर लगातार तीन साल से देश को 100 विश्वविद्यालयों में तीसरे स्थान पर कायम है। यह छोटी-मोटी उपलब्ध नहीं।
बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से कराए गए नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) सर्वे में देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह लगातार तीसरा साल जब विश्वविद्यालय अपनी रैंकिंग को कायम रखे है। हालांकि ओवरआल कैटेगरी में बीएचयू एक पायदान नीचे फिसला है, पिछले साल बीएचयू नौवें स्थान पर था इस साल एक पायदान नीचे गिरकर 10वें स्थान पर पहुंच गया है।
पांच पैरामीटर्स पर तय की जाती है रैंकिंग
मानव संसाधन विकास मंत्रालय हर साल अपनी एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ ) के जरिए देश के तमाम उच्च शिक्षण संस्थानों एजुकेशनल की गुणवत्ता को रैंक देता है। इसके लिए एनआईआरएफ अलग-अलग कैटेगरी और सम्मलित रूप से पांच पैरामीटर्स (टीचिंग, लर्निग, रिसोर्सेज, टीएलआर, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस आरपीसी, ग्रेजुएशन आउटकम जीओ, आउटरीच एंड इन्क्लूसिविटी ओआई व परसेप्शन) पर इंस्टीट्यूट्स की रैकिंग करता है और उन्हें घोषित करता है।
2016 में बीएचयू को मिला था 07वां स्थान
2016 में इसी एजेंसी ने बीएचयू को सातवां स्थान दिया था, 2017 में बीएचयू ने अपनी रैंक में सुधार किया और तीसरे पायदान पर पहुंच गया। फिर 2018 और अब 2019 में भी में इसे बरकरार रखा है। पहला स्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंलूरू व दूसरा स्थान जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली को मिला है।
32 हजार छात्रों के लिए महज 1900 शिक्षक
बता दें कि बीएचयू ने जो सफलता अर्जित की है वह इतना आसान भी नहीं है। कारण मानव संसाधन विकास मंत्रालय हर साल अपनी एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ ) के जरिए देश के तमाम उच्च शिक्षण संस्थानों एजुकेशनल की गुणवत्ता को रैंक देता है उसमें शैक्षणिक गतिविधि सबसे ऊपर है। वहीं बीएचयू की स्थिति यह है कि यहां पढ़ने वालों की तादाद है 32 हजार तो शिक्षक महज 1900 हैं। यानी देखा जाए तो हर 17 छात्र पर एक टीचर। यह कहीं से शिक्षा मानकों को पूरा नहीं करता। तमाम तरह की दिक्कते हैं। एक शिक्षक को स्नातक की कक्षाएं भी पढ़ानी होती है, परास्नातक की भी फिर उसे शोध भी कराना होता है। ऐसा शोध जो स्तरीय हो। पेटेंट कराया जा सके, क्योंकि मानन संसाधन मंत्रालय केएनआईआरएफ के सर्वे में शोध भी है वह भी गुणवत्तापूर्ण। इस लिहाज से बीएचयू की इस उपलब्धि को उससे ऊपर के दो अन्य शिक्षण संस्थाओं से कमतर करके कतई नहीं आंका जा सकता।
आईआईटी बीएचयू को 11वां स्थान
एनआईआरएफ सर्वे में आईआईटी बीएचयू ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। देश के टॉप 100 इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स में आईआईटी बीएचयू को 11 स्थान मिला है। आईआईटी बीएचयू ने इस वर्ष अपनी रैकिंग में 08 पायदान का सुधार किया है। पिछले साल वह 19 वें रैंक पर था।
एक नजर में बीएचयू

मुख्य परिसर का क्षेत्रफल- 1,360 एकड़

राजीव गांधी दक्षिणी परिसर, बरकछा का क्षेत्रफल-2,740 एकड़ में

इंस्टीट्यूट्स -05

संकाय- 16

विभाग–134

इंटरडिसिप्लीनरी स्कूल-2

रिसर्च सेंटर्स-15
विद्यार्थी–32,000

शोध छात्र– 4,000

टीचर्स- 1,920

महिला महाविद्यालय-1

एफिलिएिटेड कॉलेज-4

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