वाराणसी

BHU के वैज्ञानिकों ने बनाई मधुमेह को नियंत्रित करने की दवा

BHU के वैज्ञानिकों ने ऐसी दवा इजाद की है जो मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस दवा से शुगर लेवर नियंत्रित रहेगा। अब ये दवा बाजार में भी उपलब्ध करा दी गई है। इसके परिणाम अच्छे मिले हैं। इस दवा को तैयार करने में दो साल की मेहनत लगी है।

वाराणसीApr 22, 2022 / 01:38 pm

Ajay Chaturvedi

BHU

वाराणसी. मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों का शुगर लेवल नियंत्रित करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के द्रव्यगुण विभाग ने दो साल के शोध के बाद एक काढ़ा और एक बटी भी तैयार की है। इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों (वैद्य) का दावा है कि इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा। इस संबंध में द्रव्य गुण विभाग के अध्यक्ष प्रो एके सिंह ने पत्रिका संग बातचीत मे बताया कि ये दवाएं करीब महीना भर पहले बाजार में उपलबध हो गई हैं।
त्रिफला, त्रिकटु, गोक्षुर व गुग्गुल से बनाई गई है बटी

उन्होंन बताया कि त्रिफला, त्रिकटु, गोक्षुर व गुग्गुल से बनाई गई है बटी (टैबलेट)। इस पर दो साल तक डायबिटीज के मरीजों पर परीक्षण चला जिसक परिणाम संतोषजनक मिले। बताया कि ये बटी आठ औषधीय पौधों के तत्व को मिलाकर तैयार की गई है। इसमें त्रिफला में हरितकी, विवितकी व आमलकी को शामिल किया गया है। वहीं, त्रिकटु में सोंठ (सूखा अदरक), पिपली व काली मिर्च हैं। साथ ही बटी में गुग्गुल व गोक्षुर को मिलाया गया है।
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30-30 मरीजों को तीन समूह में बांट कर किया गया परीक्षण

इस बटी के ह्यमून ब़ॉडी परीक्षण के लिए मधुमेह से पीड़ित 30-30 मरीजों को तीन समूहों में बांट कर यह दवा दी गई। पहले समूह को सिर्फ यह आयुर्वेदिक बटी, दूसरे समूह को सिर्फ एलोपैथिक दवा और तीसरे समूह को दोनों ही दवाएं दी गईं। परीक्षण में पाया गया कि जिन्हें सिर्फ बटी दी गई, उनमें शुगर लेवल को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली।
पंच वल्कल काढ़ा भी है मददगार

“शुगर लेवल नियंत्रित रखने में आयुर्वेद संकाय के द्रव्य गुण विभाग की ओर से तैयार पंच वल्कल काढ़ा भी काफी मददगार साबित हो रहा है। परीक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दवा जल्द बाजार में उपलब्ध होगी।”- डॉ अनिल कुमार सिंह, प्रोफेसर द्रव्यगुण विभाग, आयुर्वेद संकाय, आइएमएस, बीएचयू
डायबिटीज व इससे उत्पन्न उपद्रव्य पर बेहतर कार्य कर रही है बटी
“त्रिकटु शरीर में जल्दी दवा पहुंचाने का कार्य करता है, जबकि गोक्षुर किडनी के लिए भी लाभदायक होता है। गुग्गुल मोटापा यानी फैट पर नियंत्रण रखता है। सभी को मिलाने के बाद बनी यह दवा डायबिटीज व इससे उत्पन्न उपद्रव्य पर बेहतर कार्य कर रही है।”- डॉ एकता मन्हास, शोधछात्रा, द्रव्यगुण विभाग, आयुर्वेद संकाय, आइएमएस, बीएचयू

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