वाराणसी

BHU कुलपति के आश्वासन पर छात्राओँ का धरना स्थगित

BHU के प्रोफेसर की बर्खास्तगी पर बनी बात
दो दिन से धरने पर थीं छात्राएं
दूसरे दिन शाम को हुई कुलपति से वार्ता
कुलपति ने छात्राओं की एक मांग मानी
अब बर्खास्तगी का मसला कार्यपरिषद में भेजा जाएगा
 

वाराणसीSep 15, 2019 / 10:33 pm

Ajay Chaturvedi

बीएचयू की आंदोलित छात्राएं

वाराणसी. BHU की छात्राओँ का दो दिन पुराना आंदोलन कुलपति प्रो राकेश भटनागर के आश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया। छात्र प्रतिनिधिमंडल से हुई कुलपति की वार्ता के बाद आंदोलित छात्र-छात्राओ ने आंदोलन स्थिगत करने की घोषणा की। हालांकि उन्होंने चेताया कि आश्वासन के बाद भी मांग पूरी नहीं होती तो आंदोलन फिर से शुरू हो सकता है।
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बता दें कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर से गरमा गया था। मामला वही छात्राओं संग छेड़खानी और अश्लीलता का रहा। इस बार आरोपी जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हैं। अक्टूबर 2018 में छात्राओं की शिकायत पर कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने आरोपी प्रोफेसर को निलंबित कर जांच समिति गठित की। छात्राओं को आश्वस्त किया था कि दोष सिद्ध होने पर आरोपी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब छात्राओं का आरोप है कि जब जांच पूरी हो गई, जांच समिति ने प्रोफेसर पर लगे आरोपों को सही पाते हुए सख्त कार्रवाई की रिपोर्ट दी, उसके बाद उन्हें बरी क्यों किया गया? अब छात्राएं शनिवार शाम से विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरने पर हैं। उनकी मांग है कुलपति धरना स्तर पर आएं और आरोपी प्रोफेसर को बर्खास्त करें।
बता दें कि अक्टूबर 2018 में जंतु विज्ञान विभाग का एकेडमिक टूर गया था। इसमें आरोपी प्रोफेसर, विभाग की कुछ और शिक्षिकाएं व छात्र-छात्राएं रहे। आरोप है कि टूर के दौरान प्रोफेसर ने समुद्र में नहाते वक्त, जहां वो लोग ठहरे थे वहां छात्राओ के साथ छेड़खानी की, अश्लील डांस किया। टूर से लौटने के बाद छात्राओं ने कुलपति से लिखित शिकायत की जिस पर फौरन एक्शन लेते हुए कुलपति प्रो भटनागर ने प्रोफेसर को निलंबित करने के साथ जांच समिति गठित की। छात्राओं को आश्वस्त किया कि दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई होगी। बताया जाता है कि जांच समिति ने छात्र-छात्राओं, विभागीय महिला-पुरुश प्रोफेसरों व अन्य कर्मचारियों से पूछ-ताछ की। आरोपी प्रोफेसर को भी तलब किया। अक्टूबर से जून तक चली जांच में आरोप प्रमाणित हुए। सभी ऩे एक स्वर से प्रोफेसर के खिलाफ गवाही दी। हालांकि प्रोफेसर हमेशा खुद को निर्दोष बताते रहे।

जून में ही जांच समिति की रिपोर्ट विश्वविद्यालय कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखी गई। उसके बाद जुलाई में आरोपी प्रोफेसर को अध्यापन कार्य के लिए बहाल कर दिया। प्रोफेसर जब विभाग आने-जाने लगे, कक्षाओं में पहुंचे तो छात्र-छात्राएं भडक गए। आरोप लगाया कि चूंकि शिकायत करने वाली छात्राएं पास आउट हो गईं इसलिए विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर को बहाल कर दिया।
हालांकि इस संबंध में बीएचयू के पीआरओ डॉ राजेश सिंह का इस मुद्दे पर कहना है कि पूरे मसले को कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखा गया। चर्चा हुई और कार्यकारिणी व विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो रिपोर्ट बना कर एमएचआरडी व यूजीसी को भेजी उसमें प्रोफेसर को किसी विश्वविद्यालय में काम न देने, जिम्मेदारी का कोई पद नहीं देने की संस्तुति की है।
लेकिन छात्राओं का आरोप है कि इतना सब करने के बाद हुआ क्या जब उन्हें पढाने की इजाजत दे दी गई। वो प्रोफेसर की बर्खास्तगी की मांग कर रही हैं। उन्होंने वीसी को धरनास्थल पर आने की मांग कर रही हैं। वीसी दिल्ली से रविवार की दोपहर 2 बजे वाराणसी पहुंचे। कुलपति की ओर छात्र-छात्राओ के एक ग्रुप को वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया। इसके लिए वीसी के दूत बन कर धरना स्थल पहुंचे थे प्रो आरपी पाठक, लेकिन छात्र-छात्राएं कुलपति के धरनास्थल पर आने की मांग पर अडी हैं। इस बीच चीफ प्रॉक्टर प्रो ओपी राय व कुलसचिव भी धरना स्थल पर पहुंचे और मानमन्नौवल की कोशिश की पर वे टस से मस नहीं हुईँ। इसी दौरान कांग्रेस महासिचव प्रियंका गांधी ने अपने फेसबुक पर इन छात्राओं को समर्थन दे दिया जिसके बाद से छात्राओं का मनोबल बढा है।
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