पत्रिका से हुई टेलीफोनिक वार्ता में वैभव के पिता प्रदीप उपाध्याय ने बेहत दर्द भरी आवाज में बताया कि उनेक दो बेटे और एक बेटी है, छोटे भाई के भी दो बेटे हैं। सब एक साथ रहते हैं। सबकी परवरिश की जिम्मेदारी उनके ऊपर ही है। बड़ा बेटा इंजीनियरिग कर रहा है। ऐसे में छोटे बेटे वैभव को उन्होंने संस्कृत शिक्षा के लिए 2009 में ही बनारस भेजा था। प्रारंभिक शिक्षा (आठवीं तक) मुमुक्षु भवन में रह कर हुई। फिर रणवीर संस्कृत विद्यालय से 12वीं तक की पढाई की। उसके बाद बीएचयू से संस्कृत आनर्स कर रहा था। यह उसका तीसरा और अंतिम साल था।
कुशीनगर के ग्राम रामचंद्रपुर, पोस्ट माधोपुर बुजुर्ग, थाना तरया सुजान निवासी प्रदीप उपाध्याय का पत्रिका से वार्ता करते समय गला रुंध जाता है। वह बताते हैं कि वैभव रुइया छात्रावास में रहता था। कुछ दिनों पहले कुछ लड़कों ने उसे मारा-पीटा था, फिर सुलह भी हो गई और वैभव की पिटाई करने वालों ने यह कह कर क्षमा मांगी की वो किसी दूसरे को मारने आए थे गलती से इसकी पिटाई कर दी गई। बात बीत गई। उन्होंने बताया कि इस बीच सुंदरपुर निवासी किसी मनीष मिश्रा के बेटे से वैभव की दोस्ती हो गई। घर आना-जाना था। मनीष को वह बड़ा भाई मानता था। प्रदीप उपाध्याय ने बताया कि मेरी दादी का देहांत हो गया था लिहाजा इस साल होली नहीं खेली जानी थी। बावजूद इसके 17 मार्च को बेटे से बात हुई तो उससे घर आने के बारे में पूछा था तो उसने कहा कि दो दिन की ही छुट्टी है ऐसे में क्या आएं? यहीं रहते हैं, खेल लेंगे होली। मुझसे उसकी वही आखिरी बात है।
वैभव के पिता ने बताया कि 17 मार्च को उसने कपड़ा खरीदने के लिए 5500 रुपये मांगे थे, जो उसके खाते में ट्रांसफर कर दिया था। उससे उसने कपड़ा खऱीदा, मेस वाले को पैसा दिया। बाकी पैसा उसके पास था। 19 मार्च को वह मनीष मिश्र के घर गया, वहीं खाना खाया, फिर उन्ही लोगों के साथ महमूरगंज गया, रंग अबीर खरीदा और रात में छात्रावास लौट आया। फिर रात में छात्रावास लौटने के बाद जो रंग अबीर लगा था उसे धोया, कपड़ा बदला और छात्रावास के ही एक लड़के से कहा कि मुझे लंका छोड़ दो। यह पूछने पर कि इतनी रात लंका क्या करने जाओगे तो जवाब दिया कि दीन दयाल रेलवे स्टेशन जाना है, कोई दोस्त आ रहा है। वह दीन दयाल रेलवे स्टेशन गया, फिर लौट कर नहीं आया।
इन्होंने बताया कि 19 मार्च को ही वैभव ने इस बीच मेरे ड्राइवर से वीडियो कॉलिंग के मार्फत बात की। छोटी बहन से भी बात की शाम को। घर के बारे में सारी जानकारी ली। घर में चल रहे निर्माण को वीडियो कॉलिंग से देखा, अपने कुत्ते तक को देखा। दर्द भरी आवाज में कहा मैने अपने पूरे परिवार को कभी कोई कष्ट नहीं दिया। वैभव ने भी जब जो कहा, उसकी मांग चाह पूरी की। पर मैनें सोचा भी न था कि एक दिन ऐसा दिन भी देखने को मिलेगा।
उन्होंने बताया कि बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लंका थाने में दर्ज करा दी। इश्तेहार भी निकाला है। बेटे के लापता होने का गम तो बहुत है। पर इसी गम के बीच जब मैं बीएचयू गया और वहां की चीफ प्रॉक्टर से मिला तो वह मुझे बच्चा पालने की नसीहत देने लगीं। मुझे लापरवाह बाप बताया। और भी जाने क्या-क्या कहा। इसकी पीड़ा मुझे कहीं ज्यादा है। कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं एक पिता की मनः स्थिति और इस सूरत में प्रो रोयाना सिंह का वह सबक सिखाना कितना पीड़ादायक रहा होगा। हालांकि इसका जवाब भी जल्द ही दूंगा। उन्होंने कहा कि महामना की कर्मभूमि में इस तरह के अधिकारी होंगे, इसका अंदाजा नहीं था। खैर अभी तो ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि लापता बेटा लौट आए। प्रदीप ने पुलिस की भूमिका की जमकर तारीफ की। कहा कि पुलिस पूरी मुस्तैदी से जुटी है,देखते हैं क्या होता है।
वैभव के पिता प्रदीप ने अपने गृह नगर के पते और अपने मोबाइल नंबर के साथ आम लोगों से अपील भी की है जिसे भी वह बच्चा मिले उसे माता पिता से मिलाने की कृपा करें…
प्रदीप उपाध्याय, ( पिता वैभव उपाध्याय), मोबाइल नंबर- 9415930209, 9984903188 लापता छात्र वैभव के बारे में जानकारी के लिए पत्रिका ने बीएचयू के पीआरओ डॉ राजेश सिंह से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी तो चीफ प्रॉक्टर ही दे सकती हैं। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं।