scriptBHU के छात्रों ने मनायी रोहित बेमुला की चौथी बरसी, नाम दिया ‘शहादत दिवस’ | BHU students celebrate Rohit Bemula fourth martyrdom day | Patrika News
वाराणसी

BHU के छात्रों ने मनायी रोहित बेमुला की चौथी बरसी, नाम दिया ‘शहादत दिवस’

-BHU के मधुबन में जुटे छात्र, रोहित वेमुला की चिट्ठी और संविधान का किया पाठ

वाराणसीJan 17, 2020 / 04:44 pm

Ajay Chaturvedi

Rohit Vemula

Rohit Vemula

वाराणसी. BHU के छात्रों का समागम हुआ परिसर स्थित मधुबन (बीएचयू प्रशासन द्वारा तय विरोध प्रदर्शऩ स्थल) में। मौका था रोहित वेमुला की मौत की चौथी बरसी का जिसे चौथा शहादत दिवस नाम दिया गया। इस मौके पर जुटे छात्रों के चेहरों पर गम और गुस्सा दोनों ही साफ नजर आया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या ने देश को झकज़ोर कर रख दिया था और उच्च शिक्षण संस्थानो में हो रही जातिगत हिंसा को समाज के सामने उजागर किया था। रोहित ने जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ और समानता के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवाई। आज जबकि उसे गए चार साल बीत गए हैं, सत्ता के रवैये में रत्ती भर भी परिवर्तन नहीं आया है। उच्च शिक्षा में दलित आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ऊपर से सरकार सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे विभाजन कारी क़ानून लाकर इस खाई को और गहरा कर रही है।
कहा कि एक तरफ़ जिस सरकार के पास रोहित को स्कॉलरशिप देने को पैसा नहीं था, वहां देश में नोटबंदी और एनआरसी, जैसी आर्थिक कसरत जो देश को पुनः लाइन में लगाने की तैयारी है, सरकार की प्राथमिकता तय करता है। लगातार रिसर्च फ़ंड में कटौती की जा रही है। ऑटोनॉमी के नाम पर सस्ती शिक्षा को निजी हाथो में बेचा जा रहा है। बेरोज़गारी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। महंगाई सारे रिकार्ड तोड़ चुकी है और जब इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई ज़ाती है तो छात्र आंदोलनों का दमन किस तरह होता है उसका ताज़ा उदाहरण जमिया, बीएचयू, जेएनयू और एएमयू में देखने को मिल रहा।
ज्वाइंट एक्शन कमेटी बीएचयू के छात्र रोहित वेमुला का चौथा शहादत दिवस मनाते
IMAGE CREDIT: पत्रिका
छात्रों ने कहा कि रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या न पहली थी न आखरी। यह कई सालों से चली आ रही वंचितों के दमन एक कड़ी थी। रोहित की आत्महत्या को शहादत का तमगा देना इसलिए जरूरी है क्योंकि उन्होंने पूरे देश मे छात्र आंदोलन को एक धार प्रदान की। उनकी चिठ्ठी ने हर एक इंसान को झकझोर कर रख दिया। दलित, अल्पसंख्यक, वंचित एवं गरीबों की दमन की यह प्रक्रिया आज के समय मे सीएए और एनपीआर के रूप में हमारे देश के सामने हैं, जहां एक बार फिर देश मे फैली बेरोजगारी, अशिक्षा व महंगाई से ध्यान भटक कर सभी को पुनः अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पंक्तियों में खड़ा कर दिया है। सीएए में किए गए संसोधन के द्वारा संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ किया गया है और एनआरसी एवं एनपीआर ला कर गांधी, अम्बेडकर के इस देश मे फिर से एक बार विभाजनकारी नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या की गई। रोहित वेमुला को जो सत्ता व ब्राह्मणवादी व्यवस्था द्वारा लम्बे समय तक सताया गया उसकी परिणति हत्या थी। वेमुला की हत्या सत्ता द्वारा छात्र-छात्राओं, विश्वविद्यालयों, दलित-आदिवासियों पर हमले का स्पष्ट सबूत है। वेमुला का चार साल पहले लिखा गया, यह अंतिम ख़त उनके संघर्षों की दास्तां है। ख़त कि यह पंक्ति, ‘मेरा जन्म मेरे लिए एक घातक हादसा है।’ यह हादसा उनकी ब्राह्मणवादी व्यवस्था में जन्म लेना है जिसका दंस उन्हें हत्या तक झेलना पड़ा।
वो बोले कि जिस प्रकार संस्था तब वेमुला को उनकी जाति के आधार पर उनसे भेदभाव करके उनकी हत्या करती है और अभी वही सरकार और संस्था सीएए-एनआरसी लाकर धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव कर रही है और इसका विरोध करने वालों पर पुलिस गोली मार रही है। वेमुला का कहना आज लोगों को स्पष्ट कर रहा है कि एक इंसान की क़ीमत सिर्फ़ एक वोट तक सीमित हो गई है। सरकार सीएए-एनआरसी जैसे साम्प्रदायिक व संविधान विरोधी क़ानून लाकर लोगों को आपस में धर्म-जाति के नाम पर बांटकर अपना वोट बैंक साध रही है। रोहित वेमुला की हत्या से लेकर सीएए-एनआरसी तक सरकार का दमनपूर्ण रवैया जारी है।
सभा की शुरुआत रोहित वेमुला के ख़त के वाचन से हुई तथा अंत में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई व दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। सभा में मुख्य रूप से दिवाकर, राज अभिषेक, विवेक मिश्र, नीरज, आशुतोष, अपराजिता, अमरदीप, सोनू, सुमित, अर्जुन, बालाजी आदि मौजूद रहे।

Home / Varanasi / BHU के छात्रों ने मनायी रोहित बेमुला की चौथी बरसी, नाम दिया ‘शहादत दिवस’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो